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________________ २६ असारता ही नजर आएगी । ठीक वैसे ही, जैसे प्याज के छिलके उतारते जाओ, उतारते जाओ अन्त में सार कुछ भी हाथ नहीं लगता । रोगनिवारण के लिए डाक्टर से चिकित्सा कराओ, दवाई लो । ज्यादा रुपया कमाने के लिए ज्यादा श्रम करो । बांझ स्त्री को भला कभी बेटा होता है ? पति को वश में करना है तो अपने सद्व्यवहारों के द्वारा वश में करो । टोने-टोटकों से ये चमत्कार शक्य नहीं है । चमत्कार : एक भ्रमजाल आप रोजाना पढ़ते होंगे अखबारों में ताबीज और अंगूठियों के बारे में । बड़े चक्कर में फंसाते हैं वे लोगों को । वे अखबारों में छपाते हैं कि यह अंगुठी सिद्धिदायनी है, इसे जो पहनेगा, उसे सात दिन के अन्दर नौकरी मिल जाएगी । इसका मूल्य मात्र पच्चीस रुपये हैं। लोग खरीद लेते हैं । सात दिन क्या, सात सप्ताह में भी जब उसे नौकरी नहीं मिलती तो वह पछताता है कि पच्चीस रुपये भी बेकार गए । नौकरी मिलने के स्थान पर ओझा - पंडित को उल्टे पच्चीस रुपये नौकरी के घर से देने पड़े । यानी बाजार आलू खरीदने गये । आलू-वालू तो कुछ मिला नहीं पीछे भालू और लग गया । जान जोखिम में, लेने के देने पड़ गये । मैंने सुना है कि एक छात्र ने एक अंगूठी खरीदी, जिसका नाम था महाफल - दायिनी । विक्रेता पंडित ने कहा कि इस अंगूठी का यह चमत्कार है कि इसे जो भी पहनेगा, वह अपनी परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होगा । ली और पाठ्यक्रम की पुस्तकों को पढ़ना बन्द कर दिया । था कि वह इस अंगूठी के महाप्रभाव से प्रथम श्रेणी प्राप्त पढ़ने के लिए कहते तो वह कहता कि आप चिन्ता न करें । मैं प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होऊँगा । परीक्षाएं हुई । परीक्षाफल घोषित हुआ । बिना पढ़नेवाला क्या खाक पास होगा । वह प्रथमश्रेणी से उत्तीर्ण होने के बजाय प्रथमश्रेणी से अनुत्तीर्ण हुआ । अभिभावकों ने उसे भारी उपालम्भ दिया । आखिर उसने महाफलदायिनी अंगूठी वाली सारी बात बतायी और कहा कि अब भविष्य में मैं इन सब पर कभी विश्वास न करूंगा। यह महाफलदायिनी अंगूठी का ही महाफल है कि मैं अनुत्तीर्ण हुआ, फेल हुआ और मेरा एक वर्ष व्यर्थ ही चला गया । उत्तीर्ण तो पढ़ने-लिखने से होता है न कि इन टोने-टोटकों - जन्तर-मन्तर से । यह विद्या वास्तव में ठगविद्या है । दूसरों को मूर्ख भी बना दें और अपना काम भी हो जाय - एक पंथ दो काज होते हैं इस विद्या से । यह उनकी एक तरह की व्यावसायिक पद्धति है । देखते नहीं हैं आप ! कुछेक लोग हवड़ा पुल या विक्टोरिया में बैठ जाते हैं और भी बड़े-बड़े मार्गों पर बैठते हैं तोता या किसी पक्षी को एक पिंजरे में बन्द कर लेते हैं और मात्र अठन्नी में आपके भविष्य को बताने का सर्वज्ञता और भविष्यवाणियाँ जब अठन्नी में उपलब्ध हो महान् चमत्कार दिखाते हैं । जाये तो धर्म, कर्म, साधना – ये सब कोड़ी की कीमत के हो जाएँगे । बिचारे जो ऐसा Jain Education International For Personal & Private Use Only छात्र ने अंगूठी खरीद क्योंकि उसे बताया गया करेगा । घर वाले उससे www.jainelibrary.org
SR No.003961
Book TitleSamasya aur Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1986
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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