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॥ समर्पण ॥
स्व. प्रवर्तिनी प्रार्या रत्न श्री विचक्षण श्री जी म. की सुशिष्या
साध्वी श्रेष्ठा श्री जीतयशा श्री जी महाराज
मम जन्मदात्री, जीवनांकुर - पल्लविनी, अनन्त-वात्सल्यपूर्ण-वरदानदायिनी, सत्पथ-प्रदर्शिनी, जिन धर्माचरणानुकूल-मुनिजीवन-मार्गसंदर्शिनी, तितिक्षामूर्ति, साक्षात् - पावनाकृतिधारिणी साध्वी मातृश्री के पुनीत करकमलों में सभक्ति सश्रद्धया यह "माँ" कृति समर्पित.
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मुनि चन्द्रप्रभ सागर
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