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________________ का-बच्चे का पालन पोषण करती है। क्या उस कष्ट व उत्सर्ग सहन करने वाली का मूल्य कोई आदम का बाप या बेटा लगा सकता है? जिसके हास में जीवन-निर्भर का संगीत है एवं राष्ट्र का उदय जिस नारी से होता है उसका मूल्य लगा सकने में अल्पांश भी कोई सक्षम है ? शायद ही। शायद ही क्या, कोई भी नहीं लगा सकता? असम्भव है ! अशक्य है ! "मात्रा समं नास्ति शरीरपोषणं, चिन्ता समं नास्ति शरीरशोषणं । भार्या समं नास्ति शरीरतोषणं, विद्या समं नास्ति शरीरभूषणम् ॥" माँ के समान शरीर का पालन-पोषण करने वाली, चिन्ता के समान देह को सुखाने वाली, स्त्री के समान शरीरको सुख देने वाली और विद्या के समान शरीर को अलंकृत करने वाली दूसरी कोई वस्तु नहीं है। अमेरिकन कवि व दार्शनिक आर. डब्ल्यू. एमर्सन का अग्रिम वाक्य अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त हैं "Men are what their mother made them अर्थात् मनुष्य वही होते हैं जो उनकी माताएँ उन्हें बनाती हैं। यदि बच्चा कोई गलती भूल कर भी कर दे तो माँ शांत भाव से क्षमा कर देती है। और उसी क्षमा के कारण दुनियां में उसका नाम होता है, वस्तुतः क्षमा के आगे बालक-बालिकाओं को क्या असंख्य शत्रुओं को भी नतमस्तक होना पड़ता है। भगवान महावीर ने कहा 'क्षमा वीरस्य भूषणम्' क्षमा रूपी शस्त्र जिसके हाथ में सुशोभित है उसका शत्र बिगाड़ क्या सकता है ? - "क्षमा खड्गं करे यस्य दुर्जनः किम् करिष्यति" क्षमा ही नहीं उपकार भी... Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003957
Book TitleMaa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherMahima Lalit Sahitya Prakashan
Publication Year1982
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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