________________
गाँधी जैसे देव पुरुष प्रकट हुए हैं और ब्रूसली जैसे मार्शल आर्ट किंग हुए हैं। किसी समय जिनके पास अपने बेटे के मर जाने पर कफन के लिए भी पैसे नहीं थे, वही कार्ल मार्क्स साम्यवाद के संस्थापक कहलाए। केवल पाँचवीं तक पढ़ने वाले घनश्याम दास बिड़ला इतने बड़े उद्योगपति हुए कि पच्चीस करोड़ की संपत्ति के मालिक हो गए थे ।
जीवन का यह मर्म हम सब लोगों के दिलों में उतर जाना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अपने रंग-रूप और जाति के कारण आसमान जैसी ऊँचाइयों को
नहीं छुआ करता। आसमान की ऊँचाइयों को छूने के लिए आदमी को अपने जीवन के गुब्बारे में श्रेष्ठ सद्गुणों और सिद्धान्तों का संचार करना होता है। दुनिया में कोई भी व्यक्ति किसी चमत्कार के रूप में सफलताओं को अर्जित नहीं किया करता । जीवन में अपनाए जाने वाले महान् उद्देश्यों, महान् विचारों और महान् संस्कारों के कारण ही व्यक्ति कामयाबी की ऊँची मीनारों का स्पर्श करता है ।
प्रत्येक व्यक्ति को अपनी नज़र हमेशा सूरज की ओर ही केन्द्रित रखनी चाहिए, ताकि उसे अपने प्रतिद्वन्द्वी की परछाई नज़र न आए। अगर व्यक्ति केवल रंग रूप के कारण ही अपना विकास चाहता है तो मैं कह देना चाहूँगा कि व्यक्ति के विकास में रंग रूप और स्मार्टनेस की भूमिका मात्र पंद्रह फीसदी है। पिच्यासी फीसदी प्रभाव तो व्यक्ति के सद्गुण और सिद्धांत डालते हैं। असली सुंदरता वही है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुंदर बनाए । कोई भी व्यक्ति अपने गोरे रंग पर गुमान न करे । गोरा तो चूना भी बहुत होता है। एक चम्मच जीभ पर रखो तो पता चले। रंग चार दिन सुहाता है, बाकी तो आदमी के गुण ही आदमी की अहमियत बनाते हैं ।
व्यक्ति के विकास में, जीवन के निर्माण में, मुसीबतों का सामना करने में, अपने संबंध और ख़ुशहाली को बरकरार रखने में अगर किसी
Jain Education International
96
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org