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वे संक्षिप्त होते हैं। जिस ख़त में बात कम शब्दों में कही जाती है, वो ख़त भी सीधा समझ में आ जाता है। जिस प्रार्थना में शब्द कम होते हैं, वो प्रार्थना भी जल्दी कंठस्थ हो जाती है। अपनी बात को कम शब्दों में धीरज से कहिए, मुस्कुराइये, और मुक्त हो जाइये। __ विशेष तौर पर भाषा को उस समय ज्यादा संक्षेप में कहा जाना चाहिए जब वातावरण बोझिल हो, गुस्से का माहौल हो। इतना भी मत बोलिए कि लोग कह उठे : बहुत हो गया आपका उपदेश । कबीर का दोहा याद रखिए : 'सार-सार को गहि रहे थोथा देइ उड़ाय।' सार की बात को पल्ले बांधिये, बेकार की बातों को छोड़िये। ___ आखिरी अनुरोध : कहे हुए शब्द और दिए हुए वचन को हर हालत में निभाइये। इसीलिए बुजुर्ग लोग कहा करते हैं: 'मर जावणो पण बात राखणी।' जो आदमी अपनी जबान हार गया वो अपनी ज़िंदगी हार गया। जो कुछ बोलो, सोचकर बोलो, पर अगर किसी को कुछ कह दिया है तो उस पर कायम रहो। जबान को कैंची मत बनाओ कि दर्जी की तरह चलती रहे। जबान को कसौटी बनाओ कि खरा-खोटा सब कुछ परखा जा सके। इस जबान में ही जीवन का स्वर्ग है और इसी में ही जीवन का नरक। यही अभिशाप बनती है और यही वरदान बना करती है। इसमें दुराशीषों के दानव भी छुपे हैं और आशीषों का अमृत भी। अगर आप किसी को गाली देते हैं तो इसका मतलब है कि आपमें इतनी भी अक्ल नहीं है किस तरह के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। मिठास दीजिए, मिठास लीजिए।
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