________________
चाहती। माउंट एवरेस्ट के शिखर को सबसे पहले छूने वाले एडमंड हिलेरी और तेनसिंह नोरके थे। आपको पता है हिलेरी तीन बार हिमालय
की सर्वोच्च चोटी पर पहुँचने में असफल रहा, फिर भी उसने हिम्मत न हारी और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाला पहला व्यक्ति बना। एवरेस्ट पर चढने में तीन बार नाकामयाब रहने के बाद भी जब न्यूजीलैंड में उसके सम्मान में पार्टी आयोजित की गई तब पत्रकारों ने उससे पूछा - 'तुम लगातार तीन बार असफल रहे हो, इस बारे में तुम्हारी क्या प्रतिक्रिया है?' हिलेरी ने एवरेस्ट की चोटी की तस्वीर को देखते हुए कहा – 'ए एवरेस्ट, तुम्हारी यह मजबूरी है कि तुम एक इंच भी और नहीं बढ़ सकते। एक दिन मैं तुम्हें ज़रूर फतह कर लूँगा'। और हम सब जानते हैं कि उन्होंने ऐसा ही किया।
आप भी अपने विश्वास को न खोएँ। हर हालत में आत्म-विश्वास बरकरार रहना ही चाहिए। दुनिया की कोई ताक़त आपके बढ़ते हुए कदमों को नहीं रोक सकती। सभी अपनी-अपनी आत्म-शक्ति को पहचानें। धरती पर आए है तो कुछ फूल खिलाए, कुछ सृजन करें, आने वाले कल का इतिहास लिखो। निरर्थक जिंदगी मत जीयो। व्यर्थ के काम करते हुए समय मत गँवाओ। ध्यान, योग और प्राणायाम के सहारे अपनी हीनभावना की ग्रंथि को बाहर निकाल दो। निराशा से ऊपर उठें। हमें जीवन कुछ करने के लिए मिला है। बेहतर सपने देखकर बेहतर भविष्य बनाएँ।
जामवन्त ने हनुमान से कहा था - 'तुम अपनी सोई हुई शक्ति को पहचानो। तुम्हारे अंदर इतनी ताक़त है कि तुम सात समुद्र पार कर सकते हो, लंका पार कर सकते हो, फिर क्यों इस तरह उदास, निराश होकर बैठे हो? तुम राम का पवित्र कार्य करने जा रहे हो, सीता के सतीत्व का रक्षण करने निकले हो, फिर यह निराशा कैसी'?
तुम तो सबके संकटमोचक हो और जब भगवान का काम पड़ गया तो निराश होकर बैठ गए? और तब हनुमान हुए संकटमोचक। हनुमान यानी
26
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org