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सवीसहराए मासे विइकते वासावास पजोसवेइ तहाणं गणहरावि वासार्ण सवीसनराए मासे विकते वासावास पजोसविति, जहाणं गणहरा पासाणं जाप पजोसर्षिति तहा गं गणह. रसीसावि वासा जाव पजोसर्विति, जहा गं गणहरसीसा वासाणं जाव पजोसर्विति तहाण थेरावि० वासावासं पजोसविंति, जहाणं घेरा वासाणं जाव पज्जोसविंति तहा णं जे इमे अ. जत्ताए समणा निम्गंथा विहरंति एतेविण वासाणं जाप पजोसविति, जहा गंजे इमे अजताए समणा निम्गंथा वासाणं सवीसइराए मासे विडते वासापास पडोसपिंति सहा गं अम्हंपियायरियउवझाया वासाणं०, जहा णं अम्हं आयरियउवज्झाया वासाण तहा अम्हेवि वासाणं सवीसइराए मासे विइते वासावासं पजोसवेमो।८५। अंतराषि य से कप्पा पजोसवित्तए, नो से कप्पड़ तं स्यणि उवाइणावित्तए।८६। वासावासं पजोसविया कप्पइ निम्यान या निम्गंधीण वा साओ समंता सकोसं जोयणं उम्गाई ओगिमित्ताणं चिहिउ अहालंदमवि उम्गह। ८७वासावासं पजोसवियाणं कप्पइ निम्गंधाण वा निम्गंधीण वा सो समंता सकोस जोयणं गंतु पडिनियत्तए, जत्थ नई निचोयगा निपसंदणा नो से कप्पा साओ समंता सकोसं जोयण गंतु पडिनियत्तए, एराबई कुणालाए, जव चकिया सिया एगं पायं जले किचा एगे पाय थले किया एवंणं कप्पा सो समंता सकोर्स जोयर्ण गंतुं पडिनियत्तए, एवं नो चकिया एवं नो कप्पाइ सत्रओ समंता सकोर्स जोयणं गतुं पडिनियत्तए।८८ा वासावासं पजोसवियाण अत्यंगायाण एवं कुत्तपुर्व भवा-दावे भंते!, एवं से कप्पड दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए, वासावासं पजोसवियाणं अस्येगइयाण एवं वृत्तपुर्व मया-पडिगाहे भंते !, एवं से कप्पा पडिगाहित्तए, नो से कप्पड दावित्तए, वासावासं० दावे मंते ! पडिगाहे मंते, एवं से कप्पइ वावित्तएवि पडिगाहित्तएवि। ८९॥ वासावासं पजोसवियाणं नो कप्पा निम्गंधाण वा निर्माचीण वा हट्ठाणं आरोगाणं पडु(बलि). यसरीराणं इमाओ नव रसविगईओ अभिक्खणं २ आहारितए तं०-खीर दहिं नवणीय सप्पि तिल गुडं महुं मज मंसं, वासावासं पजोसवियाणं अत्येगइआणं एवं युतपुर्व भवइ-अट्ठोध भंते ! गिलाणस्स ?, से य पयेजा-अट्ठो, से य पुछिए-केवाएणं अट्ठो?, से वएजा-एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, जे से पमाणं क्या से य पमाणओ पित्तो, से या विषविजा विनवेमाणे लभिज्जा से य पमाणपत्ते होउ अलाहि इय पत्ता सिया, से किमाहु मंते !१, एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, सिया णे एवं पर्यंत परो बाजा-पडिगाहेह अजो! तुमंपिस्थ(पच्छा)मो.
खसि वा दाहिसि वा, एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पड गिलाणनीसाए पडिगाहित्तए ।९। वासावासं पजो० अस्थि णं घेराणं तहप्पगाराई कुलाई कडाई पलिआई थिजाई वेसासियाई संमयाई बहुमयाई अणुमयाई भवंति जत्य से नो कप्पइ अदक्सु वइत्तए-अस्थि ते आउसो ! इमं वा २१, से किमाहु मंते !?, सत्थी गिही गिहा बा तेणियंपि कुजा।९शवासाचार्स पजोसबियस्स नियमत्तियस्स मिक्सुस्स कप्पड़ एग गोअरकालं गाहावाकलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए पा पविसित्तए वा (म० नमस्थायरियवे यावच्चेणं एवं उवजमायवे० तवस्सिवे० गिलाणवे. खुड्डएण वा लुड्डियाए वा अवंजणजायाए) वासावासं पजो० चउत्पमत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विससे-जं पाओ निक्खम्म पुधामेव वियडर्ग भुचा पिचा पडिग्गहं संलिहिय संपमजिय से य संथरिजा कप्पड़ से तदिवसं तेणेव भत्तद्वेणं पलो०, से य नो संथरिजा एवं से कप्पा दुबंपि गाहावाकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, वासावार्स पजो० छद्रुमत्तियस्स मिक्खुस्स कप्पंति दो गोअरकाला गाहावाकुलं मत्ताए वा पाणाए वा निक्स० परिसि०, वासाबासं पजो० अगुमभत्तियस्स मिक्सुस्स कप्पंति तओ गोअरकाला गाहावइकुल मत्ताए वा पाणाए वा निक्खमि० पविसि०, वासावासं पजो विगिहभत्सिअस्स मिक्लुस्स कप्पंति सचेवि गोअरकाला गाहा० भ० पा०नि०प०।९२। वासावासं० पजो० नियमत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सचाई पाणगाई पडिगाहित्तए, वासावास पमो० चउत्पमतियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए तं०- उस्सेइमं संसेइमं चाउलोवर्ग, वासावासं पज्जो० उट्ठभत्तियस्स भिक्तुस्स कर्पति तओ पाणगाई पडिगाहितए ०.नि. लोदगं वा तुसोदगं वा जवोदर्ग वा, वासावासं पजो० अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए तं०-आयामे वा सोधीरे बा सुबषियडे वा, वासावासं पजोक विगिट्ठभत्तियस्स कप्पड एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए सेऽविय णं असित्ये नोविय णं ससित्थे, वासावासं पजो० भत्तपडियाइक्खियस्स कप्पड़ एगे उसिणोदए पडिगाहितए सेऽ. विय णं असित्ये नो वेव णं ससित्ये सेविय णं परिपूए नो चेव णं अपरिपए सेऽविय णं परिमिए नो वेवणं अपरिमिए ।९३ । वासावासं पजो० संलावत्तियस्स मिक्स्स कप्प॑ति पंच दत्तीओ भोअणस्स पडिगाहित्तए पंच पाणगस्स अहवा बत्तारि मोअणस्स पंच पाणगस्स अहवा पंच मोअणस्स पत्तारि पाणगस्स, तस्य ण एमा बत्ती लोणासायणमित्तमवि पडिगाहिआ सिया कप्पड़ से तदिवस तेणेव भत्तट्टेणं पजोसवित्तए, नो से कप्पा दुर्वपि गाहावाकुल भत्ताएवा पाणाए निक्समित्तए वा पषिसित्तए वा।९४ावासावार्स पजो० नो कप्पइ निग्गे जाव उपस्सयाओ सत्तपरंतर संखडिं संनियहचारिस इत्तए, एगे पु एवमाइंसु-नो कप्पाइजाव उपस्सबानो परेण सत्तपरंतर संसाडि संनियहचारिस्स इत्तए, एगे १००७ कल्पसूत्र-बारसा -
मुनि दीपरत्नसागर
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