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________________ लिए '४३८।२४। सागारिपस्स प्याभत्ते उदेसिए पाए पाहुड़ियाए सागारिपस्स उवगरणजाए निहिए निसहे पाहिहारिए त सागारिओ येइ सागारियस्स परिजणो देश तम्हा दायर नो से कप्पा पहिम्माहेत्तए '४४३।२५। सागारियस्स पूषाभत्ते उदेसिए चेहए जाब पाडिहारिए तं नो सागारिओ देह नो सागारियस्स परिजणो देह सागारियस्स पूया देह तम्हा दावए नो से कप्पड़ ।२६। सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए बेहए पाहुडियाए सागारियस्स उषगरणजाए निद्विए निप्सवे अपडिहारिए त सामारिओ देह सागारियस्स परिजणो वा देइ तम्हा दावए नो से कापड पडिग्गाहेत्तए।२७। सागारियस्स पूयाभत्ते जाव अपडिहारिए तं नो सागारिओ देहनी सागारियस्स परिजणो देह सागारियस्स पूया देह तम्हा दावए एवं से कप्पद पडिग्गाहेत्तए '४४४।२८। कप्पड निग्गन्धाण वा निग्गन्धीण वा इमाई पञ्च वत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा, त०- जनिए भनिए साणए पोत्तए तिरीडपट्टे नामं पामे *४५८।२९। कप्पइ निम्गन्धाण वा निग्गंधीण वा इमाइं पात्र स्यहरणाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा, तंजहा-ओण्णिए उहिए साणए बदाचि(विष्पावि)प्पए मुजचिप्पिएवि नाम पामेत्तिमि "४६४१३०॥बिहओ उद्देसओ २॥नो कप्पइ निग्गन्धाण निग्गन्थीर्ण उवस्सयंसि आसइत्तए वाचिद्वित्तए वा निसीइत्तएवा तुयहित्तए वा निदाइत्तए पापयलाइत्तए वा असणं वा० आहारं आहारेत्तए उच्चारं वा पासवर्ण वा खेलं वा सिहाणं वा परिद्ववेत्तए सज्झायं वा करेत्तए माणं वा साइत्तए काउस्सग वा करेत्तए ठाणं वा ठाइत्तए '१२३।१।नो कप्पद निग्गन्धीणं निग्गन्थार्ण उवस्सयंसि आसइत्तए जाय ठाणं ठाइत्तए १२६।२शनो कप्पइ निर्गयीण सलोमाई चम्माई अहिडित्तए १४०।३। कप्पइ निम्मन्याणं सलोमाई चम्माई अहिद्वित्तए, सेवि य परिभूते नो चेव णं अपरिभूते, सेवि य पाडिहारिए नो चेव णं अपडिहारिए, सेवि य एगराइए नो वेवणं अणेगराइए १६४४ नो कप्पइ निग्गन्याण वा निग्गन्धीण वा कसिणाई चम्माइं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा '१९११५। कप्पइ निम्मान्थाण वा निग्गंधीण या अकसिणाई चम्माइं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा '१९८।६।नो कप्पइ निम्मान्धाण वा निम्ान्धीण वा कसिणाई वत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा, कप्पइ निग्गन्याण वा निम्गन्धीण वा अकसिणाई वत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए पा'२३७।७। नो कप्पइ निग्गन्धाण वा निम्गन्धीण वा अभिनाई पत्याई धारेत्तए वा परिहरित्तए चा, कप्पड़ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा भिनाई वत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा '४१७' 121नो कप्पइ निम्मन्थाणं उम्महणन्तगं वा उम्गहपट्टगं वा धारेत्तए वा परिहरित्तए वा “४२२।९। कप्पड़ निग्गन्धीणं उम्गहणन्तगं वा ओगाहणपट्टगं वा धारेत्तए या परिहरित्तए वा ४६५।१०। निग्गन्थीए य गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए अणुष्पविहाए चेलवे समुष्पजेजा नो से कप्पह अपणो निस्साए चेलाई पडिग्गाहेत्तए, कप्पड़ से पवत्तिणीनिस्साए चेलाई पडिम्गाहेत्तए, नो य से तत्थ पवत्तिणी समाणी सिया जे तत्थ समाणे आयरिए वा उवज्झाए वा पयत्ती वा थेरे वा गणी वा गणहरे वा गणावच्छेहए वाजं च णं पुरओ कट विहरति कप्पड़ से तबीसाए चेलाई पडिग्गाहेत्तए '५०५।११। निम्गन्धस्स तप्पढ़मयाए संपवयमाणस्स कप्पइ स्यहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए तिहि य कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए. से य पुत्रोचट्ठिए सिया एवं से नो कप्पड़ स्यहरणपडिग्गहगोच्छगमायाए तिहि य कसिणेहिं वत्येहिं आयाए संपव्वइत्तए, कप्पड़ से अहापरिग्गहियाई वत्थाई गहाय आयाए संपाइनए '५५०।१२। निम्गन्थीए णं तप्पढमयाए संपब्वयमाणीए कप्पड़ से स्यहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए चउहि कसिणेहिं वत्येहिं आयाए संपचहत्तए, सा य पुष्टोवट्टिया सिया एवं से नो कप्पइ रयहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए चउहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपवइत्तए, कप्पइ से अहापरिग्णहियाई बत्थाई गहाय आयाए संपञ्चइत्तए “५५२।१३। नो कप्पद निग्गन्याण वा निग्गन्थीण वा पढमसमोसरणुदेसपत्ताई चेलाई पडिगाहेत्तए, कप्पद निग्गन्धाण वा निग्मान्धीण वा दोचसमोसरणुदेसपत्ताई चेलाई पड़िगाहेनए '६२४ । १४। कप्पइ निर्माचाण वा निर्गयीण वा अहाराइणियाए चेलाइ पडिगाहेत्तए '६८३।१५। कप्पद निग्गंयाण वा निम्ांधीण वा अहाराइणियाए सेजासंथारयं पडिगाहेलए '७२९।१६। कप्पइ निम्मेथाण वा निग्गंधीण वा अहाराइणियाए किइकम करेत्तए '८६९।१७। नो कप्पद निर्णयाण वा निग्गंधीण वा अंतरगिहंसि चिद्वित्तए वा आसइत्तए वा निसीइत्तए वा तुयट्टिनए वा निदाइत्तए वा पयलाइत्तए वा असणं वा. आहारमाहारेत्तए उचारं वा० परिद्ववेत्तए सज्झाय वा करेत्तए साणं वा साइत्तए काउस्सगं वा करेनए ठाणं वा ठाइत्तए,अह पुण एवं जाणेजा जराजष्णे वाहिए घेरे तपस्सी दुबले किलन्ते जज्जरिए मुच्छेजवा परहेज वा एवं से कप्पर अंतरगिहंसि चिद्वित्तए वा जाव ठाणं वा ठाइनए ८८१।१८ानो कप्पइ निम्गंथाण वा निम्गंधीण वा अंतरगिहंसि जाव चउगाहं वा पंचगाहं वा आइक्खित्तए वा विभावित्तए वा किट्टित्तए वा पचेइत्तए वा नन्नत्य एग-4 नाएण वा एगवागरणेण या एगगाहाए चा एगसिलोएण या, सेवि य ठिचा, नो चेव णं अद्विचा '९०५।१९। नो कप्पन निग्गंथाण वा निम्गंथीण वा अंतरगिहंसि हमाई पंच महजयाई सभावणाई आइक्खित्तए वा जाव पवेइत्तए वा नसत्य एगनाएण या जाय एगसिलोएण वा, सेवि य ठिचा, नो पेवणं अद्विचा '९१३।२०। नो कप्पड निरगंधाण वा निम्गयीण वा पाडिहारियं सेजासंथार्य आयाए अपडिहद संपवइत्तए '९२५।२१। नो कप्पइ निम्गंधाण वा निर्माथीण वा सागारियसंतियं सेजासंथारय आयाए अहिगरणं (२४१) ९६४ रहत्कल्पःसूर्य, उदा -३ मुनि दीपरनसागर
SR No.003935
Book TitleAagam Manjusha 35 Chheyasuttam Mool 02 Buhatkappo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages11
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size8 MB
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