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________________ त च अचरमाई च अवत्तब्वयाई च २६, सत्तपएसिए णं भंते! खंधे पुच्छा, गो० ! सत्तपएसिए णं खंधे सिय चरिमे णो अचरिमे सिय अवत्तत्रए जो चरिमाई णो अचरिमाई णो अबतयाई सिय चरमे य अचरमे य सिय चरमे य अचरमाई च सिय चरमाई च अचरमे य सिय चरमाई च अचरमाई च १० सिय चरमे य अवत्तवए य सिथ चरमे य अवत्तश्याई च सिय चरमाई च अवत्तवए य सिय चरमाई व अवत्सइयाई च णो अचरमे य अवत्तत्रए य णो अचरमेय अवत्तव्यवाई च णो अचरमाई च अवत्तव्वए य णो अचरमाई च अवत व्वयाई च सिय चरमे य अचरमेय अवत्तव्वए य सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाई च २० सिय चरमे य अचरिमाई च अवत्तव्यए अ णो चरिमे य अचरिमाई च अवत्तव्यवाई च सिय चरमाई च अचरमे य अवत्तव्यए य सिय घरमाई च अचरमे य अवत्तब्वयाई च सिय चरमाई च अचरमाई च अवत्तव्यए य सिय चरमाई च अचरमाई च अवत्तब्वयाई च २६, अट्ठपएसिए णं भंते! खंधे मुच्छा, गो०! अट्ठपए लिए खंधे सिय चरमे नो अचरमे सिय अवत्तब्वए नो चरमाई नो अचरमाई नो अवत्तव्वयाई सिय चरिमेय अचरिमे य सिय चरिमे य अचरिमाई च सिय चरिमाई च अचरिमे य सिय घरमाई च अचरमाई व १० सिय चरमे य अवतव्वए य सिय चरमे य अवत्तब्वयाई च सिय चरिमाई च अवत्तब्वए य सिय चरिमाई च अवत्तव्ययाई च णो अचरिमे य अवत्तव्वए य णो अचरिमे य अवत्तब्वयाई च णो अचरिमाई च अवत्तव्वए य णो अचरिमाई च अवत्तब्वयाई च सिय चरिमे य अचरिमेय अवत्तम्वए य सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाई च २० सिय चरिमे य अचरिमाई च अवत्तव्यए अ सिय चरिमे य अचरिमाई च अवत्तब्वयाई च सिय चरिमाई च अचरिमेय अवत्तव्यए अ सिय चरिमाई च अचरिमेय अवत्तव्वयाई च सिय चरिमाई च अचरिमाई च अवत्तव्यए य सिय चरिमाई च अचरिमाई च अवत्तब्वयाई च २६, संखेज्जपएसिए: असंखेजपए सिए अनंतपएसिए संधै जहेब अट्टपए सिए तहेव पत्तेयं भाणियां, परमाणुम्मि य तइओ पढमो तहओ य होंति दुपएसे पढमो तइओ नवमो एकारसमो यतिपएसे ॥ १८५ ॥ पढमो तइओ नवमो दसमी एकारसो य चारसमो भंगा चउप्पएसे तेवीसइमो य बोहवा ॥ ६ ॥ पढमो तइओ सत्तमनवदसइकारवारतेरसमो तेवीस चउडीसो पणवीसइमो य पंचमए ॥ ७ ॥ बिचउत्थपंच पनरस सोलं च सत्तरद्वारं वीसेकवीस बावीसगं च वज्जेज उहांम ॥ ८ ॥ विचउत्थपंचछ पण्णर सोलं च सत्तरद्वारं बावीसइमविह णा सत्तापदेसंमि खंधम्मि ॥ ९ ॥ बिचउत्थपंच पण्णर सोलं च सत्तरद्वारं। एते वज्जिय भंगा सेसा सेसेस खंधे ॥ १९० ॥ १५८ ॥ कइ णं भंते! संठाणा पं० गो० पंच संठाणा पं० तं० परिमंडले वट्टे से चउरंसे आयते य, परिमंडला णं भंते! संठाणा किं संखेजा असंखेजा अनंता ?, गो० नो संखिजा नो असंखेज्जा अर्णता, एवं जाव आयता, परिमंडले णं भंते! संठाणे किं संखेजपएसिए असंखे० अनंत ०१, गो० ! सिय संखेज • सिय असंखेज सिय अनंतपदेसिए, एवं जाब आयते, परिमंडले णं भंते! संठाणे संखेजपाएसिए कि संखेजपएसो गाढे असंखेजपए अणतपए०१, गो० संखेजपएसोगाटे नो असंखेज नो अनंत, एवं जाव आयते, परिमंडले णं भंते! संठाणे असंखेजपएसिए किं संखेजपएसोगाटे असंसेज० अनंत ०?, गो० ! सिय संखेज सिय असंखेज नो अणतपएसोगाढे, एवं जाव आयते, परिमंडले णं भंते! संठाणे अणतपएसिए किं संखेज्ज० असंखेज्ज० अणतपएसोगाढे १, गो० ! सिय संखेज्ज० सिय असंखेज नो अनंतपएसोगाढे, एवं जाव आयते, परिमंडले णं भंते! संठाणे संखेजपएसिए संखेजपएसोगाढे किं चरमे अचरमे चरमाई अचरमाई चरमंतपएसा अचरमंतपएसा ?, गो० ! परिमंडले णं संठाणे संखेजपए सिए संखेजपएसोगाढे नो चरमे नो अचरमे नो चरमाई नो अचरमाई नो चरमंतपएसानो अचरमंतपएसा, नियमं अचरमं चरमाणि य चरमंतपसा य अचरमंतपएसा य एवं जाव आयते, परिमंडले णं भंते! संठाणे असंखेजपएसिए संखेजपएसोगाटे किं चरमे ०१ पुच्छा, गो० ! असंखेज संखेज जहा संखेज्जपएसिए, एवं जाव आयते, परिमंडले णं भंते! संठाणे असंखेजपएसिए असंखेजपएसोगाडे किं चरमे० पुच्छा, गो० असंखिजप० असंखिजपएसोगाढे नो चरमे जहा संखेजपएसो गाढे, एवं जाब आयते, परिमंडले णं भंते! संठाणे अनंतपएसिए संखिजपएसोगाडे किं चरमे० पुच्छा १, गो० तहेब जाव आयते, अणतपएसिए असंखेजपएसोगाढे जहा संखेजपएसोगाढे, एवं जाव आयते, परिमंडलस्स णं भंते! संठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स अचरिमस्स य चरिमाण य चरमंतपदेसाण य अचरमंतपएसाण य दबट्टयाए पएसट्टयाए दब्बट्टपएसट्टयाए कयरे ०१, गो० ! सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाटस्स दब्बट्टयाए एगे अचरिमे चरमाई संखेजगुणाई अचरमं चरमाणि यदोऽवि विसेसाहियातिं पदेसट्टयाए सव्वत्योचा परिमंडलस्स संठाणस्स संखिजपए सियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स चरमंतपएसा अचरमंतपएसा संखेज्जगुणा चरमंतपएसा य अचरमंतपसा य दोऽवि विसेसाहिया दव्वट्टपएसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स दब्बट्टयाए एगे अचरिमे चरमाई संखेज्जगुणाति अचरमं च चरमाणि य दोषि विसेसाहियातिं चरमंतपएसा संखेज्ज० अचरिमंतपएसा संखेज्जगुणा चरिमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोषि विसेसा०, एवं वट्टतं चउरंसायए सुवि ० ७२९ प्रज्ञापना, पद- १० मुनि दीपरत्नसागर
SR No.003915
Book TitleAagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages107
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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