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________________ वालुयप्पभा० जहनेणं तिनि सागरोवमाई उक्को सत्त सागरोक्माई अपजत्तयवालुय० जहनेणं अंतोमुहुत्तं उक्को अंतोमुहुर्त पजत्तयवालय जहः तिन्नि सागरोवमाई अंतो. मुहुत्तुणाई उक्को सत्त सागरोवमाई अंतोमुहुतूणाई, पंकप्पभापुढवी० गो०! जह० सत्त सागरोवमाई उक्को० दस सागरोवमाई अपजत्तयर्पक जह• अंतोमुहुत्तं उक्को अंतोमुहृत्त पजत्तयपंक० जह सत्त सागरोक्माई अंतोमुहुत्तूणाई उक्को० दस सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई, धूमप्पभापु० जह० दस सागरोवमाई उको सत्तरससागरोवमाई अपजत्तयधूमप्पभा० जह० अंतोमुहुर्त उक्को अंतोमुहुर्त पज्जत्तगधूम० जहरू दस सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई उक्को सत्तरस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई, तमप्पभा० जह सत्तरस सागरोबमाई उक्को बावीसं सागरोवमाई अपज्जत्तयतमप्पभा० जह० अंतोमुहुर्त उक्को० अंतोमुहुत्तं पज्जत्तगतमप्पभा० जह सत्तरस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई उक्को० वावीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तू. णाई, अहेसत्तमा जह० वावीसं सागरोवमाई उक्को तित्तीसं सागरोक्माई अपज्जत्तगअहेसत्तमा० जह० अंतोमुहुत्तं उक्को अंतो० पजत्तगअहेसत्तमपुढवीनेरइयाण भंते! केवइयं कालं ठिई पं०१, गो०! जबावीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाई अंतो०१९४॥ देवाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई ५०, गो! जह० दस वाससहस्साई उको तेत्तीस सागरोवमाई अपज्जत्तयदेवाणं भंते ! केवइयं०१ जह० अंतोमुहुत्तं उको अंतोमुहुत्तं पज्जत्तयदेवाणं जह० दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्को तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तृणाई, देवीर्ण जह०दसवाससहस्साई उक्कोपणपन्न पलिओवमाइंअपजत्तयदेवीणं जह० अंतो० उको अंतोपजत्तय जहदस वाससहस्साई अंतो० उक्कोपणपर्न पलिओवमाई अंतोमुहुत्तुंणाई,भवणवासीणं देवाणं जह० दसवाससहस्साई उक्को साइरेग सागरोवर्म अपजत्तयभवणवासीणं जहअंतोउको अंतो० पजत्तयभवणव उक्को साइरेग सागरोवमं अंतोमुहुत्तूर्ण,भवणवासिणीणं देवीणं जह० दस वाससहस्साइं उक्को० अपंचमाइं पलिओक्माई अपजत्तयभवणवासिणीणं देवीणं जह, अंतो उक्को अंतो० पज्जत्तियाणं भवणवासिणीणं जह० दस वाससहस्साई अंतोमुहुतूणाई उक्को अद्धपंचमाई पलिओवमाई अंतो०, असुरकुमाराणं जह० दस वाससहस्साई उक्कोसाइरेगं सागरोवमं अपजत्तयअसुरकु० जह० अंतो० उक्को० अंतो० पजत्तयअसुरकु० जहरू दस वाससहस्साई अंतीमुहुत्तूणाई उको साइरेग सागरोवर्म अंतोमुत्तूर्ण, असुरकुमारीणं देवीर्ण जहा दस वास. सहस्साई उको अद्धपंचमाई पलिओवमाई अपज्जत्तियाणं असुरकुमारीणं जहा अंतो० उक्को० अंतो० पज्जत्तियाणं असुरकुमारीणं जहरू दस वाससहस्साई अंतो उक्को अद्र्पचमाई पलिओवमाई अंतो०, नागकुमाराणं देवाणं जह० दस वाससहस्स्साई उक्को. दो पलिओवमाई देसूणाई अपज्जत्तयाणं नागकुमाराणं जह• अंतो० उक्को० अंतो० पजन्जयाणं नागकुमाराणं जहरू दस वाससहस्साई अंतो० उक्को० दो पलिओक्माई देसूणाई अंतो०,नागकुमारीणं जह० दस वाससहस्साई उक्को० देसूर्ण पलिओवमं अप० नागकु० देवीणं जहर अंतोमुहुत्तं उको० अंतो० पज्जत्तियाणं नागकुमारीणं जह० दस वाससहस्साई अंतो० उक्को० देसूर्ण पलिओवमं अंतो०, सुवण्णकुमाराणं जहरू दस वाससहस्साई उक्को० दो पलिओवमाई देसूणाई अपजत्तयाणं जह• अंतो० उक्को० अंतो० पज्जत्तयाणं जह० दस वाससहस्साई अंतोमुहुतूणाई उक्को० दो पलिओवमाई देसूणाई अंतोमुत्तूणाई, सुवण्ण देवीणं जह वाससहस्साई उको० देसूर्ण पलिओवर्म अपजत्तियाणं जह० अंतो० उक्को० अंतो० पजत्तियाणं जह० दस वाससहस्साई अंतो उक्को० देसूर्ण पलिओवमं अंतो०, एवं एएणं अभिलावेणं ओहियअपज्जत्तयपजत्तयसुत्तत्तयं देवाणं देवीण य नेयई जाव यणियकुमाराणं जहा नागकुमाराण।९५। पुढवीकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पं०?, गो०! जह अंतो० उक्को० बावीसं वाससहस्साई अपज्जत्तयपुढवी० जह० उक्को० अंतो० पजत्तयपुढवी० जहरू अंतो० उक्को० बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तुणाई सुहुमपुढची जहा उक्को अंतो० अपजत्तयसुहुमपुढवी० जह० उक्को अंतो० पज्जत्तयसुहुमपुढवी० जह० उक्को० अंतो० बायरपुढवी जह० अंतो उस्को बाबीसं वाससहस्साई अपजत्तवायरपुढबी० जह० उक्को० अंतो० पजत्तयवायरपुढवी० जह० अंतो० उक्को बाबीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, आउकाइयार्ण ज अंतो० उक्को सत्त वाससहस्साई अपजत्तयआउ० जहरू उक्को० अंतो० पज्जत्तआउ० जह• अंतो० उक्को० सत्त वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, सुहुमआउ० ओहियाणं अपजत्तयाणं पज्जत्ताण य जहा सुहुमपुढवीकाइयाण तहा माणिय, बायरआउकाइयाणं पुच्छा, गो०! जह. अंतो उक्कोसत्त वाससहस्साई अपज्जत्तयबायरआउकाइयाणं जह० उक्को० अंतो० पज्जत्त उक्को० सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई, तेउकाइयाण० जह• अंतो० उक्को तिमि राईदियाई अपजत्तयाणं जह• उक्को अंतो० पज्जत्तयाणं जह• अंतो० उक्को तिन्नि राईदियाई अंतोमुहुत्तूणाई, सुहुमतेउ० ओहियाणं अपजत्ताणं पजत्ताण य जह• उक्को० अंतो०, वायरतेउ० जह• अंतो० उक्को तिन्नि राइंदियाई अपज्जत्तयवायरवेज जह उक्को० अंतो० पज्जत्ताणं जह• अंतो० उक्को तिन्नि राईदियाई अंतोमुहुत्तूणाई, वाउकाइयाणं जह• अंतो• उक्को तिन्नि वाससहस्साई अपजत्तयाणं जह• उक्को अंतो. ७.२ प्रज्ञापना, पद-४ मुनि दीपरत्नसागर FEA
SR No.003915
Book TitleAagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages107
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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