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________________ FORSPO489786ARSPECTICASPICABPREPRSNEPARASHANCPRASSPERMIS00-20PICANSPAPER870068NCABPS नो पुरिसो ० जाच नो नपुंसगा पंधति, पुवपडिवनए पडुच्च अवगयवेदा बंधति, पडिबजमाणए य पडुच्च अवगयवेदो या पंधति अवगयवेदा या बंधति, जइ भंते! अवगयवेदो वा बंधइ अवगयवेदा वा बंधति तं भंते ! किं इत्यीपच्छाकडो मं० पुरिसपच्छाकडो बं० नपुंसकपच्छाकडो बं० इत्थीपच्छाकडा पंधति पुरिसपच्छाकडावि बंधंति नपुंसगपच्छाकडावि बं० उदाहु इस्थिपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य पंधति उदाहु इत्थीपच्छाकडो य गपुंसगपच्छाकडो य बंधइ उदाहु पुरिसपच्छाकहो य णपुंसगपच्छाकडो य बंधइ उदाहु इस्थिपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य णपुंसगपच्छाकडो य० भाणियव्वं एवं एते छच्चीसं भंगा जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसप नपुंसकप० चंधति ?, गोयमा ! इत्थिपच्छाकडोऽवि बंधइ पुरिसपच्छाकडोऽवि चं० नपुंसगपच्छाकडोऽवि पं० इत्थीपच्छाकडावि बं० परिसपच्छाकडावि चं० नपुंसकपच्छाकहावि 40 अहवा इत्थीपच्छाकहो य परिसपच्छाकडो य बंधइ एवं एए चेव छब्बीसं भंगा भाणियब्वा जाव अहवा इत्थिपच्छाकहा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति, तं भंते ! किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ बंधी बंधइ न बंधिस्सइ बंधी न पंधड़ बंधिस्सइ बंधी न बंधइ न पंधिस्सइ न पंधी पंधर बंधिस्सइ न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ न बंधी न बंध बंधिस्सइन पंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ?, गोयमा! भवागरिसं पडुन अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए बंधी बंधन बंधिस्सइ, एवं तं चेव सव्वं जाव अत्थेगतिए न पंधीनबंधइन बंधिस्सइ, गहणागरिसं पडुच अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ एवं जाव अत्धेगतिए न पंधी बंधइ बंधिस्साइ, णो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, अत्यंगतिए न बंधी न बंधइ पंधिस्सइ अत्यंगतिए न पंधी न बंधइन बंधिस्सइ, तं भंते ! किं साइयं सपजवसियं बंधइ साइयं अपजवसियं पंधइ अणाइयं सपज्जवसियं बंधइ अणाइयं अपज्जवसियं बंधइ ?, गोयमा ! साइयं सपज्जवसियं बंधइ नो साइयं अपज्जवसियं बंधइ नो अणाइयं सपज्जवसिय पंधइ नो अणाइयं अफ्जवसियं बंधह, ते भंते ! कि देसेणं देसं बंधइ देसेणं सव्वं बंधइ सब्वेणं देसंबंधइ सव्वेणं सब बंधई, गोयमा ! नो देसेणं देसं बंधइ णो देसेणं सव्वं बंधइ नो सब्वेणं देसं बंधह सब्वेणं सव्यं बंधा । ३४० । संपराइयण्णं भंते! कम्मं किं नेरइयो बंधह तिरिक्खजोणिओ बंधइ जाव देवी बंधइ ?, गोयमा ! नेरइओऽवि बंधइ तिरिक्खजोणिओऽवि बंधइ तिरिक्खजोणिणीवि बंधइ मणुस्सोऽवि बंधइ मणुस्सीवि बंधइ देवोऽवि बंधइ देवीवि बंधइ, तं भंते ! किं इत्थी चंधड़ पुरिसोपं तहेव जाव नोइत्थीनोपरिसोनोनपुंसओ बंधइ ?, गोयमा ! इत्थीवि बं० पुरिसोऽवि पंधइ जाव नपुंसगोऽवि बंधड़ अहवेए य अवगयवेदो य बंधइ अहवेए य अवगयवेया य बंधन्ति, जइ भंते ! अवगयवेदो य बंधइ अवगयवेदा य बंधति तं भंते! किं इत्थीपच्छाकडो पंधइ पुरिसपच्छाकडो बंधइ०?,एवं जहेव ईरियावहियाचंधगस्म तहेव निरवसेस जाच अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुस्सिपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य पंधति, तं भंते ! किंबंधी बंधइ बंधिस्सइ बंधी बंधइन बंधिस्सइ बंधीन बंधइ बंधिस्सइ बंधी न पंधइ न बंधिस्सइ?, गोयमा ! अत्यंगतिए बंधी बंधह बंधिस्सइ अत्यंगतिए बंधी बंधइन पंधिस्सइ अत्गतिए बंधीन बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगतिए बंधी न बंधइन बंधिस्सइ, तं भंते! किं साइयं सपजवसियं बंधाइ० पुच्छा तहेव, गोयमा! साइयं वा सपज्जवसियं बंधइ अणाइयं वा सपजवसियं बंधइ अणाइयं वा अपजवसियं बंधइ णो चेव णं साइयं अपज्जवसियं बंधइ, तं भंते ! किं देसेणं देसंबंधइ एवं जहेव ईरियावहियाबंधगस्स जाव सवेणं सब्बं पंधइ ।३४१। कह णं भंते! कम्मपयडीओ पं०?, गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पं० सं०-णाणावरणिजं जाव अंतराइयं, कहणं भंते! परीसहा पं०?. गोयमा! बावीसं परीसहा पं० त०-दिगिंछापरीसहे पिवासापरीसहे जाव दंसणपरिसहे, एए णं भंते! बावीस परीसहा कविसु कम्मपगडीसु समोयरंति ?, गोयमा! चउसु कम्मपगडीसु समोयरंति, तं०-नाणावरणिजे वेयणिजे मोहणिजे अंतराइए, नाणावरणिज्जे णं भंते! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?, गोयमा ! दो परीसहा समोयरंति तं०-पन्नापरीसहे नाणपरीसहे (अन्नाणपरीसरे पा०) य.वेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति?.गोयमा! एक्कारस परीसहा समोयरंति, तं०. पंचेच आणपब्बी चरिया सेज्जा वहे य रोगे या तणफास जालमेव य एक्कारस वेदणिज्जमि ॥५८॥ दंसणमोहणिजे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?, गोयमा ! एगे दंसणपरीसहे समोयरइ, चरित्तमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसंहा समोयरंति ?, गोयमा ! सत्त परीसहा समोयरंति, त०. अरती अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अकोसे । सकारपुरकारे चरित्तमोहंमि सत्तेते ॥५९॥ अंतराइए णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति?, गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरह, सत्तविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा पं०, गोयमा ! बावीसं परीसहा पं०, चीसं पुण वेदेइ, जंसमयं सीयपरीसहं वेदेति णो समयं उसिणपरीसहं वेदेइ समयं उसिणपरसिहं वेदेइ णो तंसमयं सीयपरीसई वेदेह, जसमयं चरियापरीसह वेदेति णो तंसमयं निसीहियापरीसहं वेदेति जंसमयं निसीहियापरीसहं वेदे णो समयं चरियापरीसह वेदेइ, अट्ठविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा पं०१, गोयमा ! वावीस परीसहा पं० त०-छुहापरीसहे पिवासापरीसहे सीयप० उसिणप० दसमसगप० जाव अलाभप०, एवं सत्तविहबंधगस्सवि, छविहबंधगस्स णं भंते! सरागच्छउमत्थस्स कति परीसहा पं०१, गोयमा! चोइस परीसहा पं०, बारस पुण वेदेव, समय सीयपरीसहं वेदे णो समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जंसमयं उसिणपरीसहं वेदेह नो तंसमयं सीयपरीसहं वेदेइ, जंसमयं चरियापरीसहं वेदेति णो तंसमयं (५९) २३६ श्रीभगवत्यंग-सत मुनि दीपरनसागर ASHTRANSPICASPANISHRAMRAPGARPANSIPHOSAROPOMISHRSSHEENCHEKASTICKISHIOMASPNBNASHIOMSPBASNEAR
SR No.003905
Book TitleAagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size169 MB
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