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तहेव जाव वेदेति, सेवं भंते ! सेवं भंते:त्ति। कइविहाणं भंते ! परंपरोववनगा कण्हलेस्सा एगिदिया पं०१, गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा कण्ह एगिदिया पं० २० पुढवीकाइया० एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कओ भेदो जाब वणस्सइकाइयत्ति, परंपरोक्वन्नगकण्हलेस्सअपज्जत्तमुहुमपुढवीकाइयाणं भंते! कइ कम्मप्पगडीओ पं०१, एवं एएणं अभिलावणं जहव
ओहिओ परंपरोववन्नगउहेसओ तहेब जाव वेदेति, एवं एएणं अभिलावणं जहेव ओहिएगिदियसए एकारस उहेसगा भणिया तहेव कण्हलेस्ससतेऽवि भाणियव्वा जाव अचरिमचरिमकण्हलेस्सएगिदिया। ८४९। बितियं एगिदियसयं२॥ जहा कण्हलेस्सेहिं भणियं एवं नीललेस्सेहिवि सयं भाणियव्यं । सेवं भंते!२त्ति। ततियं एगिदियसयं ३॥ एवं काउलेस्सेहिवि सयं भाणियब्वं नवरं काउलेस्सेति अभिलावो भाणियव्यो। चउत्थं एगिदियसयं ४॥ कइविहा णं भंते! भवसिद्धीया एगिदिया पं०?, गोयमा! पंचविहा भवसिद्धिया एगिंदिया पं० २०. पुढवीकाइया जाव वणस्सइकाइया भेदो चउफओ जाव वणस्सइकाइयत्ति, भवसिद्धियअपज्जत्तसुहुमपुढवीकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ पं०१, एवं एएणं अमिलावणं जहेव पढमिल्डगं एगिदियसयं तहेव भवसिद्धियसयंपि भाणियवं, उहेसगपरिवाडी तहेव जाब अचरिमोत्ति। सेवं भंते रत्ति। पंचम एगिदियसयं ५॥ कइबिहा णं भंते! कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिंदिया पं०?, गोयमा! पंचविहा कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिंदिया पं० पुढवीकाइया जाव वणस्सइकाइया, कण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढवीकाइया णं भंते ! कतिविहा पं०?. गोयमा ! दुचिहा पं० तं-सुहुमपुढवीकाइया य बायरपुढवीकाइया य, कष्हलेसभवसिद्धीयसुहमपुढबीकाइया णं भंते! कइविहा पं०१, गोयमा! दुविहा पं० त०- पज्जनगा य अपजत्नगा य, एवं बायरावि, एएणं अभिलावेणं तहेब चउक्कओ भेदो भा०, कण्हलेस्सभवसिद्धीयअपज्जत्तसुहमपुढवीकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ पं०, एवं एएणं अभिलावेणं जहेब ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेति, कइविहा णं भंते! अणंतगेववन्नगा कण्हलेस्सभवसिद्धिया एगिदिया पं०, गोयमा ! पंचविहा अणंतरोक्वन्नगा जाव वणस्सइकाइया, अणंतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढवीकाइया णं भंते ! कति हा पं०१. गोयमा! दुविहा पं०२०- सुहुमपुढवीकाइया० एवं दुयओ भेदो, अणंतरोववन्नगकण्टलेस्सभवसिद्धीयमुहमपुटवीकाइयाणं भंते! कड कम्मपगडीओ पं०१, एवं एएणं अभिलावणं जहेब ओहिओ अर्णतरोववन्नउहेसओ तहेव जाब वेदेति. एवं एएणं अभिलावेणं एकारसवि उद्देसगा तहेव भाणियव्या जहा
ओहियसए जाव अचरिमोत्ति॥ छटुं एगिदियसयं । जहा कण्हलेस्सभवसिद्धिएहिं सयं भणियं एवं नीललेस्मभवसिदिएहिवि सयं भाणियध्वं । सत्तम एगिदियसयं ॥ एवं काउलेस्सभवसिद्धीएहिवि सयं ॥ अट्टमं एगिदियसयं॥ कइविहा णं भंते ! अभवसिद्धीया एगिदिया पं० १, गोयमा ! पंचविहा अभवसिद्धि० पं० २०- पुढविक्काइया जाव वणस्मइकाइया, एवं जहेव भवसिद्धीयसयं भणियं नवरं नव उद्देसगा चरमअचरमउद्देसगवजा, सेसं तहेव। नवमं एगिदियसयं ॥ एवं कण्हलेम्सअभवसिदीयएगिदियसयंपि। इसमें एगिदियसयं ।। नीललस्सअभवसिद्धीयएगिदिएहिवि सयं ११॥ काउलेस्सअभवसिद्धीयसयं १२। एवं चत्तारिवि अभवसिद्धीयसयाणि णव २ उद्देसगा भवति, एवं एयाणि बारस एगिदियसर 1८५० । इति त्रयस्त्रिंशत्तमं शतकं ॥ ॥ कइविहा णं भंते ! एगिदिया पं०१, गोयमा ! पंचविहा एगिंदिया पं० २०. पुढविकाइया जाब वणस्सइकाइया. एवं एतेणं चेव चउक्कएणं भेदेणं भाणियब्वा जाब वणस्सइकाइया अपजत्तसुहुमपुढवीकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिले परिमंते समोहए ना जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पचच्छिमिले चरिमंते अपजत्तसुहमपुढवीकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! कइसमएणं विग्गहेणं उबवज्जेज्जा ?, गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उबवजेजा, से केणडेणं भंते ! एवं बुबइ एगसमइएण वा दुसमइएण वा जाव उववजेज्जा ?, एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीओ पं० तं०- उजुयायता सेढी एगयओवंका
दुहओवका एगयओखहा दुहओखहा चकवाला अदचकवाला, उज्जुआयताए सेढीए उववजमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा एगओवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं भविग्गहेणं उपवजेज्जा दुहओवंकाए सेबीए उपवजमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उबवजेज्जा, से तेणटेणं गोयमा! जाव उववजेजा, अपज्जत्तसहमपदवीकाइए णं भंते ! इमीसे ग्यणप
भाए पुढवीए पुरच्छिमिले चरिमंते समोहए ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढबीए पञ्चच्छिमिड़े चरिमंते पज्जत्तमुहुमपुढवीकाइयत्ताए उववज्जिनए से णं भंते ! कइसमइएणं al विग्गहेणं उववजेजा ?, गोयमा! एगसमइएण वा मेसं तं व जाव से तेणटेणं जाब विगहेणं उववजेजा, एवं अपज्जत्तमुहमपुढवीकाइओ पुरच्छिमिले चरिमंते समोरणावेत्ता पचच्छिमिड़े चरिमंते चादरपुढवीकाइएमु अपजत्तएसु उपवाएयव्यो, ताहे तेसु चेव पजत्तएसु ४, एवं आउक्काइएसु चत्तारि आलायगा सहमेहि अपजत्नएहि, ताहे पजनएहिं बायरेहि
ताहे पजत्तपहिं उववाएयचो. एवं चेव सहमतेउकाइएहिवि अपज्जत्तएहिं ताहे पजतेएहिं उबवाएयब्बो, अपजत्तसुहमपुढवीकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए ता जे भविए मणुस्सखेत्ते अपजत्तबादरतेउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उबवज्जेजा, सेसं तं चेव, एवं पजनवा३९३ श्रीभगवत्यंगं, सतत
मुनि दीपरत्नसागर