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THARVRATRAKO270042309340325149HMASTARRERAKSH348349Y2KASHAMONT
खलु तेसि जीवाणं गती पवत्तति, ते णं भंते ! जीवा किं आयड्ढीए उववजंति परिड्डीए उवव०१, गोयमा ! आइडीए उपव० नो परिड्डीए उवव०, ते णं भंते! जीवा किं आय
परकम्मु०, गायमा! आयकम्मुणा उवव० नो परकम्मुणा उवव०,! ते णं भंत! जीवा कि आयप्पयोगेणं उक्व० परप्पयोगेणं उवव०, गोयमा ! आयप्पयोगणं उबरजति नो परप्पयोगेणं उवव०, असुरकुमारा णं भंते ! कहं उववजंति०, जहा नेरतिया तहेव निरवसेसं जाव नो परप्पयोगेण उववजंति, एवं एगिदियबज्जा जाब वेमाणिया, एगि. दिया तं चेव नवरं चउसमइओ विम्गहो, सेसं तं चेव। सेवं भंते!२त्ति जाव विहरति ।८०६॥ श०२५ उ०८॥ भवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उवय ?, गोयमा ! से जहानामए पवए परमाणे अवसेसं तं चेव जाव वेमाणिए। सेवं भंतेत्ति । ८०७॥ श०२५ उ०९॥अभवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उवव०?, गोयमा! से जहानामए पवए पवमाणे अबसेस तं चेव एवं जाव बेमाणिए। सेवं भंते !२त्ति। ८०८॥श०२५ उ०१०॥ सम्मदिविनेरइया णं भंते! कहं उवव०, गोयमा! से जहानामए पवए परमाणे अबसेसं तं चेव, एवं एगि
या। सेवं भंते!२त्ति। ८०९॥श०२५ उ०११॥ मिच्छदिट्टिनेरइया णं भंते! कहं उबव०, गोयमा! से जहानामए पवए पवमाणे अवसेसं तं चेब, एवं जाव वेमाणिए। सेवं भंते २त्ति । ८१०॥उ०१२ इति पंचविंशतितमं शतकं ॥ध मानमो सुयदेवयाए भगवईए। 'जीवा १ य लेस्स२पक्खिय ३ दिट्ठी४ अन्नाण५नाण ६ सन्नाओ ७। वेय ८ कसाए ९ उवओग १० जोग ११ एकारसवि ठाणा ॥१०८॥ तेणं कालेणं० रायगिहे जाव एवं वयासी-जीचे णं भंते! पावं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ बंधी बंधइ ण बंधिस्सइ बंधी न बंधइ बंधिस्सइ बंधी न बंधइन पंधिस्सइ ?, गोयमा! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगतिए बंधी बंधइण पंधिस्सइ अस्थेगतिए पंधी ण बंधइ बंधिस्सइ अत्थेबंधी न बंधहण पंधिस्सइ, सलेस्सेणं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी बंधह पंधिस्सइ पंधी बंधइण बंधिस्सइ०? पुच्छा, गोयमा! अत्थेगतिए बंधी बंधह बंधिस्सइ अत्थेगतिए एवं चउभंगो, कण्हलेसे णं भंते! जीवे पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए पंधी बंधइन बंधिस्सइ, एवं जाव पम्हलेसे, सव्वत्थ पढमचितिया भंगा, सुकलेस्से जहा सलेस्से तहेब चउभंगो, अलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा! बंधी न बंधइन बंधिस्सइ, कण्हपक्खिए णं भंते! जीवे पार्व कम्म० पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए पंधी० पढमबितिया भंगा, सुक्कपक्खिए ण भंते! जीवे० पुच्छा, गोयमा! चउभंगो भाणियव्यो। ८१११ सम्मदिट्ठीणं चत्तारि भंगा, मिच्छादिट्ठीणं पढमचितिया भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठीणं एवं चेच, नाणीणं चत्तारि भंगा, आभिणिवोहियणाणीणं जाव मणपज्जवणाणीणं चत्तारि भंगा, केवलनाणीणं चरमो भंगो जहा अलेस्साणं, अन्नाणीणं पढमबितिया, एवं मइअनाणीणं सुयअनाणीणं विभंगणाणीणवि, आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताणं पढमवितिया, नोसन्नोवउत्ताणं चत्तारि, सवेदगाणं पढमवितिया, एवं इस्थिवेदगा पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगावि, अवेदगाणं चत्तारि, सकसाईणं चत्तारि, कोहकसाईणं पढमबितिया भंगा, एवं माणकसाइस्सवि मायाकसाइस्सवि, लोभकसाइस्स चत्तारि भंगा, अकसाई णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ अत्धेगतिए बंधी ण बंधइण बंधिस्सइ, सजोगिस्स चउभंगो, एवं मणजोगिस्सवि वइजोगिस्सवि कायजोगिस्सवि, अजोगिस्स चरमो, सागारोवउत्ते चत्तारि, अणागारोवउत्तेऽवि चत्तारिभंगा ८१२। नेरइए णं भंते! पावं कम्मं किंबंधी बंधड बंधिस्सह०१. गोयमा! अत्थेगतिए बंधी पढमचितिया, सलेस्से णं भंते! नेरतिए पावं कम्म०१, एवं चेव, एवं कण्हलेस्सेऽवि नीललेस्सेऽवि काउलेस्सेऽचि, एवं कण्हपक्खिए सुकपक्खिए, सम्मविट्ठी मिच्छादिही सम्मामिच्छादिट्ठी णाणी आमिणिबोहियनाणी सुयनाणी ओहिणाणी अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी आहारसन्नोवउत्ते जाव परिग्गहसन्नोवउत्ते सवेदए नपुंसकवेदए सकसाई जाव लोभकसाई सजोगी मणजोगी वयजोगी कायजोगी सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते एएसु सव्वेसु पदेसु पढमबितिया भंगा भाणियव्वा, एवं असुरकुमारस्सवि वत्तव्बया भाणियब्वा नवरं तेउलेस्सा इस्थिवेयगपुरिसवेयगा य अभहिया, नपुंसगवेदगान भन्नति, सेसं तं चेव, सव्वत्थ पढमपितिया भंगा, एवं जाव थणियकुमारस्स, एवं पुढवीकाइयस्सपि जाव आउकाइयस्सवि जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्सवि, सब्वत्यवि पढमचितिया भंगा नवरं जस्स जा लेस्सा, विट्ठी णाणं अन्नाणं वेदो जोगो य ज जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं सेसं तहेव, मणूसस्स जव जीवपदे वत्तव्वया सञ्चेव निरवसेसा भाणियब्वा, वाणमंतरस्स जहा असुरकुमारस्स, जोइसियस्स वेमाणियस्स एवं चेव नवरं लेस्साओ जाणियव्वाओ, सेसं तहेव भाणियब्वं । ८१३। जीवे णं भंते! नाणा०कम किंबंधी बंधइ बंधिस्सइ एवं जहेव पावकम्मस्स बत्तब्वया तहेव नाणावरणिजस्सवि भा० नवरं जीवपदे मणुस्सपदे य सकसाई जाव लोभकसाइंमि य पढमबितियभंगा अवसेसं तं चेव जाव वेमाणिए, एवं दरिसणावरणिजेणवि दंडगो भाणियब्वो निरवसेसो, जीवे णं भंते! वेयणिज कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा! अत्यंगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्यंगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ, सलेस्सेऽवि एवं चेव ३८५ श्रीभगवत्यंग, बाल-26
मुनि दीपरत्नसागर