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________________ भंते ! जाई दब्बाई वेउवियसरीरत्ताए गेष्हइ ताई किं ठियाई एवं चेव नवरं नियम छहिसिं, एवं आहारगसरीरत्ताएऽवि, जीवे णं भंते! जाई दब्वाई तेयगसरीरनाए गिण्हइ पृच्छा, गोयमा! ठियाइं गेण्हइ नो अठियाई गेण्हइ सेसं जहा ओरालियसरीरस्स, कम्मगसरीरे एवं चेव जाव भावओऽवि गिव्हइ. जाई दवाई दव्वओ गे० ताई किं एगपएसियाई गेण्डइ दुपए. सियाई गेण्हइ?, एवं जहा भासापदे जाच अणुपुबि गेण्हइ नो अणाणु०, ताई भंते! कतिदिसिं गेण्हइ?, गोयमा! निब्वाधाएणं जहा ओरालियस्म, जीवे णं भंते ! जाई दबाई सोईदियत्ताए गे० जहा वेउब्वियसरीरं एवं जाव जिभिदियत्ताए फासिंदियत्ताए जहा ओरालियसरीरं मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीरं नवरं नियमं छदिसि एवं वइजोगत्ताएऽवि कायजोगत्ताऽवि जहा ओरालियसरीरस्स, जीवेणं भंते ! जाई दब्बाई आणापाणत्ताएगेजहेव ओरालियसरीरत्ताए जाव सिय पंचदिसि । सेवं भंते रनि। केई चउबीमदंडएणं एयाणि पदाणि भन्नंति जस्स जं अस्थि । ७२४॥ श०२५ उ०२॥ कति णं भंते ! संठाणा पं०?, गोयमा ! छ संठाणा पं० सं०- परिमंडले बट्टे से चउरंसे आयते अणिन्थंथे, परिमंडला गं भंते ! संठाणा दब्बट्टयाए किं संखेजा असंखेज्जा अणंता?, गोयमा! नो संखे० नो असंखे० अणंता, बट्टा णं भंते ! संठाणा एवं चेव, एवं जाव अणित्वंथा, एवं पाएसट्टयाएऽवि. एएसिणं भंते! परिमंडलवट्टतंसचउरंसआयतअणित्थंथाणं संठाणाणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्टपएसट्टयाए कयरे जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा परिमंडलमंठाणा दबट्टयाए वसं. ठाणा दबट्टयाए संखेजगुणा चउरंससंठाणा दबट्टयाए संखेजगुणा ससंठाणा दबट्टयाए संखेजगुणा आयतसंठाणा दब्बट्ठयाए संखेजगुणा अणित्थंथसंठाणा दबट्टयाए असंखेजगुणा, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा पएसट्टयाए वसंठाणा संखेजगुणा जहा दबट्टयाए तहा पएसट्ठयाएऽवि जाव अणित्वंथसंठाणा पएसट्टयाए असंग्वेजगुणा, दब्बटुपएसट्टयाए सब्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा दव्वट्ठयाए सो चेव गमओ भाणियब्बो जाव अणित्थंधसंठाणा दव्व० असंखे० दब्बट्ठयाए अणित्वंथेहितो संठाणेहिनो परिमंडलसंठाणा पएसट्ठ- असंखे बसंठाणा पएसट्ट० संखे० सो चेव पएसट्टयाए गमओ भाणि० जाव अणित्थंथसंठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा ।७२५। कति णं भंते ! संठाणा पं०?, गोयमा ! पंच संठाणा पं० त०. परिमंडले जाप आयते, परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं संखेज्जा असंखेजा अर्णता ?, गोयमा! नो संखेजा नो असं० अणंता, बट्टा णं भंते! संठाणा किं संखेजा, एवं चेव, एवं जाव आयता, इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए परिमंडला संठाणा किं संखेज्जा असंखे० अर्णता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, बट्टा णं भंते ! मंठाणा किं संखेजा असं०एवं चेव, एवं जाव आयया, सकरप्पभाए णं भंते! पढवीए परिमंडला संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया, एवं जाव अहेसत्तमाए, सोहम्मे णं भंत ! कप्प परिमंडला संठाणा एवं चेव, एवं जाव अच्चुए, गेविजविमाणा णं भंते ! परिमंडलसंठाणा एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेसुऽबि, एवं ईसिपम्भाराएऽचि, जत्थ णं भंते ! एगे परिमंडले संठाणे ज(प. जा)वमझे तत्थ परिमंडला संठाणा किं संखेजा असंखेजा अणंता, गोयमा! नो संखेजा नो असं० अणंता, बट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेजा असं० एवं चेव, एवं जाव आयना. जत्थ णं भंते ! एगे बढे संठाणे ज(प० जा)वमझे तस्थ परिमंडला संठाणा एवं चेव, वडा संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयता, एवं एकेकेणं संठाणणं पंचवि चारेयब्बा, जत्थ णं भंते ! इमीसे स्यणप्पभाए पुढवीए एगे परिमंडले संठाणे जवमझे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेज्जा पुच्छा, गोयमा! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, बट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेजा पुच्छा, गोयमा! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, एवं चेव जाव आयता, जत्य णं भंते ! इमीसे रयण पुढवीए एगे बढे संठाणे जवमझे तत्व णं परिमंडला संठाणा किं संखेजा? पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असं० अणंता, बट्ठा संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयता, एवं पुणरवि एकेकेणं संठाणेणं पंचवि चारेयव्या जहेब हेडिल्ला जाव आयताणं, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं कप्पेसुवि जाव ईसीपभाराए पुढवीए । ७२६ । बट्टे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पं०१, गोयमा! बड़े संठाणे दुबिहे पं० २० घणबडे य पयरबड़े य. | तत्व णं जे से पयरखट्टे से दुबिहे पं० २० ओयपएसे य जुम्मपएसे य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पंचपएसिए पंचपएसोगाढे उकोसेणं अणंतपएसिए अमंग्वेजपएमोगाढे. तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहनेणं वारसपएसिए बारसपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे, तत्य णं जे से घणवद्ले से दुबिहे पं० त०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जह सत्तपएसिए सत्तपएसागाढे उकोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे, तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बत्तीसपएसिए पतीसपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे, तसे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पं०१,गोयमा! तसे ण संठाणे दुविहे पं० तं०-घणतंसे य पयरतंसे य, तन्थ णं जे से पयरतंसे से दुविहे तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जह• तिपएसिए तिपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे, नन्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे उक्कोसेणं अर्णतपएसिए असंखेजपएसोगाढे, तत्थ णं जे से घणतंसे से दुविहे पं००-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ ३६५ श्रीभगवत्यंग- २५ मुनि दीपरत्नसागर 8931488986IRNORAKASHIRSANSI4820453083IKRREAMS2489334HRIRAMBACHOOKINAATYASHOKA
SR No.003905
Book TitleAagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size169 MB
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