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सताया है बुरी तरह अपनों ने,
क्या करें बात
उपेक्षा
परिताप दिये
परायों की ।
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इस कदर
मित्र - दोस्तों ने
जाती रही शंसा
अन्तस्करण से
शिकायत करनी थी जो दुश्मनों की ।
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