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परम्परा के प्रसंग
पुराने ढर्रे पर चल रहा है जीवन
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ग्राम के निवासियों का
शहर के अछूतों का सदियों से
ग्राम्य चिपके हैं
बुरी तरह
रोजमर्रा के जीवन से परम्परा के बन्धन से ।
ग्राम्य इच्छुक नहीं ढ़ंग बदले,
रंग बदले
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उनके रहन सहन का, रीति-रिवाजों का
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