________________
खटऽ
न्याय के द्वार
खटऽ
खटखटाए
खटs
Jain Education International
न्याय के द्वार,
पर न्याय कहाँ
अन्याय के शासन में ?
दुबकी बैठी है चेतना
कल्मष की कथरी ओढ़े,
स्वयम् मधुमास
बुला रहा है पतझर ।
For Personal & Private Use Only
६०
www.jainelibrary.org