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सृष्टि का सन्त
नागरिकता का पालन विषमता का अन्त है वह सृष्टि का सन्त है।
परिशुद्ध नागरिक कहाँ चाहिये ?
क्यों, किधर चाहिये ? विजय-मंच की देहरी पर पहुँचने के लिए, युग को समस्या के हल के लिए,
संसार में शान्ति के लिए । आत्म - विजय
सच्ची विजय है समस्याओं का निराकरण धर्म है शान्ति जीवन का लक्ष्य है यही नागरिकता का रहस्य है।
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