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आत्मा वै परमेश्वरः
कस्तूरी की गन्ध पा खोज रहे क्यों
धरती - अम्बर !
सन्धान कर रहे
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जिस वस्तु की तुम,
तुम्हारी सम्पदा
आवेष्टित है
पड़ी है वह तो
तुम्हारे खीसे - अन्दर ।
तुम हो
चिर काल से वह
निज धट - भीतर ।
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