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माँ सरस्वती
सभ्यता और संस्कृति अग - जग को ज्योतिर्मय कर दे, संस्कार और चारित्र की सुवास से जीवन के आंगन को भर दे, श्रद्धा और मानवता से मस्तिष्क मनुज का उर्वर कर दे, हे सरस्वती, माँ जिनवाणी ऐसा वर दे।
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१६+८६ =१०२/मुनि चन्द्रप्रभ सागर : समय के हस्ताक्षर
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