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हम स्वाध्याय अवश्य करें।
मौन एवं शान्तिपूर्वक भोजन करें । जूठन न छोड़ें। शुद्ध भोजन करें । बाजारू खाद्य पदार्थों से परहेज रखें । हाथ धोने के लिए गिलास भर पानी और पोंछने के लिए तोलिया, भोजन के समय साथ लेकर बैठें। ध्यान रखें दिन में अनावश्यक सोने की आदत न डालें।
घर से बाहर जाते समय बड़ों का अभिवादन और बच्चों को प्यार देकर जाएँ। अपनी दिनचर्या और आजीविका को बड़े उत्साह से सम्पादित करें । जीवन के हर कार्य और कर्त्तव्य के लिए सन्नद्ध रहें । ऐसी बातों और लोगों से परहेज़ रखें जो हमारे लिए अशान्ति का निमित्त बनते हों । किसी कार्य में असफल हो जाने पर खिन्न और दुःखी होने की बजाय उन त्रुटियों और कारणों को तलाशें, जिनके चलते हम सफल होने से चूक गए । असफल भला कौन नहीं होता ! सच्चा सफल वही है जो हर दिन और कार्य की शुरूआत सदा नये उत्साह, उमंग और आत्मविश्वास के साथ करता है।
ध्यान रखें हम कभी किसी बुरे व्यसन से न घिर जाएँ । देर रात तक, घर से बाहर न रहें, घर वालों को आपकी प्रतीक्षा है । समय पर जाएँ, समय पर आएँ । घर आने पर परिवार की हँसी-खुशी में ऐसे घुल-मिल जाएँ मानो बूंद सागर में समा गई हो । नैतिक शिक्षा के पचीस सूत्र ____ हम सहज, सौम्य और मधुर जीवन का संकल्प लें । अपने दैनिक जीवन में निम्न बातों का अमल करें१. सूर्योदय से पहले उठकर प्राणों में ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार कीजिए; __ माता-पिता को प्रणाम कर उनके आशीर्वाद लीजिए। २. दूसरों के द्वारा किए जाने वाले प्रणाम और अभिवादन को आदरपूर्वक स्वीकार
कीजिए। ३. घर को स्वच्छ और सुन्दर रखिए । घर की छोटी-बड़ी-सब वस्तुएँ निर्धारित
स्थान पर रखिए। ४. घर के कामकाज में सहयोग कीजिए; खाने की वस्तु पहले छोटों को दीजिए
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ऐसे जिएँ
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