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मनोविकारों का निर्मलीकरण होगा; तन-मन के आंतरिक रोगों का उपचार होगा, मानसिक शांति और आत्मशक्ति का विकास होगा। व्यक्ति देह में रहते हुए भी विदेहानुभूति की ओर अग्रसर होगा; स्वयं की सुप्त उच्च शक्ति का अभ्युदय होगा।
जीवन की चिकित्सा ध्यान के द्वारा
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