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चन्द्रप्रभ मन को पहचानना व उसे सम्यक् दिशा देना जरूरी बताते हैं । उन्होंने इंसान को अपनी सोच को उन्नत बनाने की प्रेरणा गीत के माध्यम से देते हुए लिखा है
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हम सोचें ऐसी बातें, जिन बातों में हो दम । दुश्मन से भी हम प्यार करें, दुश्मनी हो जिससे कम ।। जिस घर में तूने जन्म लिया, वो मंदिर है तेरा । प्रभु की मूरत हैं माता-पिता, उनसे न जुदा हों हम।। दुनिया में ऐसा कौन भला, जो दूध से धुला हुआ। कमियाँ तो हर इंसान में, फिर क्यों न रखें संयम ॥ हमसे सबको सम्मान मिले, सबको ही बाँटें प्यार । बोलें तो पहले हम तौलें, मिश्री घोलें हर दम ।। श्री चन्द्रप्रभ से जुड़े कुछ मनोवैज्ञानिक घटनाप्रसंग इस प्रकार हैंसबसे मजबूत चीज क्या श्री चन्द्रप्रभ जोधपुर स्थित संबोधि धाम की पहाड़ी पर बैठे हुए थे। तभी एक युवक उनके पास आया और पूछने लगा दुनिया में सबसे मजबूत चीज क्या है? उन्होंने कहा- मैं जिस पत्थर पर बैठा हूँ वह सबसे मजबूत है। युवक ने फिर पूछा- क्या पत्थर से भी ज्यादा मजबूत कुछ है? उन्होंने कहा- हाँ, पत्थर से भी ज्यादा मजबूत है लोहा। क्योंकि लोहा पत्थर को भी तोड़ देता है। लोहे से ज्यादा कुछ भी मजबूत नहीं होता है क्या ? युवक ने पुन: जिज्ञासा रखी। उन्होंने कहा हाँ एक चीज है वह है अग्नि, जो लोहे को भी पिघला देती है। युवक ने अपना सवाल दोहराते हुए पूछा- क्या अग्नि से भी ज्यादा मजबूत कोई चीज हो सकती है? उन्होंने कहा- हाँ, पानी है क्योंकि पानी अग्नि को भी बुझा देता है। युवक ने कहा मेरा अंतिम सवाल, पानी से भी मजबूत दुनिया में क्या है? उन्होंने कहा बेटा, पानी से ही नहीं, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मजबूत एक ही चीज है। और वह है इंसान का संकल्प। अगर इंसान का संकल्प जग जाए तो वह पत्थर को भी तोड़ सकता है, लोहे को भी पिघला सकता है. अग्नि को भी बुझा सकता है और यहाँ तक कि पानी की धार को भी मोड़ सकता है ।
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लोहा मूल्यवान है या चाँदी ? एक व्यक्ति ने श्री चन्द्रप्रभ से पूछा - दुनिया में लोहा मूल्यवान है या चाँदी ? उन्होंने कहा - लोहा । वह अब तक चाँदीको मूल्यवान समझ रहा था। उसने आश्चर्य से पूछा
क्यों? उन्होंने कहा - चाँदी जीवनभर चाँदी ही रहेगी, पर लोहे के साथ ऐसा नहीं है। अगर उसे पारस का स्पर्श मिल जाए तो वह सोना बन जाएगा। उन्होंने कहा- सदा याद रखो, मूल्य वस्तु का नहीं, उसमें रहने वाली संभावना का होता है। अगर व्यक्ति अपनी सुप्त संभावनाओं को जागृत कर ले तो वह मूल्यवान बन सकता है।
सिक्के नहीं, सुविचार बाँटें- श्री चन्द्रप्रभ ने एक बार प्रवचन में सुविचार बाँटने की प्रेरणा दी। एक व्यक्ति ने उनसे कहा- हमने सिक्के या लड्डू बाँटने की बात तो सुनी है, पर सुविचार बाँटने की बात पहली बार सुनी। सिक्कों की प्रभावना से तो लोग प्रवचनों में आते हैं, पर सुविचार बाँटने से क्या होगा? श्री चन्द्रप्रभ ने उन्हें व उनके मित्र को अपने पास बुलाया और कहा- आप दोनों जेब से एक-एक सिक्का निकालिए और एक-दूसरे को बाँट दीजिए। अब बताओ आपके पास कितने सिक्के हुए? दोनों ने कहा- एक एक। अब आप अपना एक
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सुविचार उनको दीजिए व उनका एक सुविचार खुद लीजिए। अब बताओ आपके पास कितने सुविचार हुए दोनों ने कहा- दो-दो । उन्होंने कहा बस यही सार की बात है, सिक्कों का लेन-देन करोगे तो वे उतने ही रहेंगे, पर सुविचारों का लेन-देन करोगे तो वे दुगुने हो जाएँगे। हम सिक्कों की बजाय सुविचारों की प्रभावना करनी शुरू करें इससे धर्म का भी भला होगा और लोगों का भी ।
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लाल बत्ती जल गई है... - एक सास-बहू श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन करने आई सास ने श्री चन्द्रप्रभ से पूछा हमारे बीच कभी-कभी किसी बात को लेकर अनबन हो जाती है जिसके कारण हम दोनों का मन भारी हो जाता है। हम चाहते हैं कि फिर ऐसी कभी नौबत न आए, हमारे बीच सदा प्रेम बना रहे, इसके लिए हमें क्या करना चाहिए? श्री चन्द्रप्रभ ने दोनों से कहा - यदि आप दोनों एक-एक सूत्र को अपनाने का संकल्प कर लें तो आपकी ये अनबन सदा के लिए दूर हो सकती है। सास-बहू ने पूछा कौनसा संकल्प ? श्री चन्द्रप्रभ ने बहू से कहाएक बात सदा याद रखो, सास शक्कर की भी क्यों न हो टक्कर मारना नहीं भूलती इसलिए सास तुम्हें कुछ भी न कहे यह तो हो नहीं सकता, पर आप एक बात दिमाग में बिठा लो कि सास अथवा ससुर जब भी डॉट या कुछ कहे तो सोचना चौराहे की लालबत्ती जल गई है। भले ही हमें लालबत्ती का जलना अच्छा न लगे, पर वह हमारी सुरक्षा के लिए ही जलती है। श्री चन्द्रप्रभ ने सास से कहा याद रखो, बहू हजार काम घर के करेगी, पर एक काम अपने मन का भी करेगी इसलिए बहू जब भी कहीं जाने के लिए, कुछ करने के लिए बोले तो तुरंत हाँ कर देना, भूल चूककर मना मत करना। कुछ दिनों के बाद सास- बहू ने आकर कहा- सचमुच, काम कर गया आपका मंत्र ।
हर
समस्या के तत्काल समाधानकर्ता
श्री चन्द्रप्रभ के पास जीवन, व्यक्तित्व, कॅरियर, स्वास्थ्य, परिवार, धर्म, समाज, राष्ट्र से जुड़ी हर समस्या का समाधान है। वे हर प्रकार की समस्या के बेहतरीन एवं तत्काल समाधानदाता हैं। उनकी कृतियों में परिवार से समाज तक, धर्म से अध्यात्म तक, व्यापार से व्यक्तित्व विकास तक हर तरह की जिज्ञासाओं का रोचक समाधान हुआ है जिसे पढ़ने मात्र से जीवन में एक नई ताजगी का संचार होता है। सांसद बालकवि वैरागी कहते हैं, " श्री चन्द्रप्रभ द्वारा जीवन की समस्याओं से जुड़े हुए समाधान पढ़कर पाठक साधक हो जाता है। वह विचारक से चिंतक और चिंतक से मनीषी तक के पायदान पर चढ़ता चला जाता है। वह वह नहीं रहता जो कि वह था। वह वह हो जाता है जो कि वह होना चाहता है।" उनके समाधान मनोवैज्ञानिकता, तार्किकता एवं सरलता लिए हुए होते हैं। साथ ही उनमें क्रमबद्धता एवं रोचकता का समावेश होता है। इस कारण वे युवा पीढ़ी एवं आमजन में ज्यादा उपयोगी सिद्ध हुए हैं। बातें जीवन की जीने की बेहतर जीवन के बेहतर समाधान,
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अंतर्यात्रा, ध्यान साधना और सिद्धि, चेतना का विकास आदि पुस्तकों में श्री चन्द्रप्रभ ने सैकड़ों तरह की जिज्ञासाओं एवं समस्याओं का विस्तार से समाधान दिया है। उनकी समाधान के संदर्भ में निम्न घटनाएँ हैं
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सबसे कठिन क्या एक युवक श्री चन्द्रप्रभ से मिलने आया। उनसे प्रभावित होकर पूछने लगा संतप्रवर, इस दुनिया में सबसे विशाल क्या है? उन्होंने कहा आकाश युवक ने अगले प्रश्न में पूछा संबोधि टाइम्स 19
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