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प्रकाशकीय श्री जितयशा फाउंडेशन एवं प्राकृत भारती अकादमी के 'संयुक्त प्रकाशन' में 'ज्योति कलश छलके' नामक प्रवचन-पुस्तक को प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता है ।
पुस्तक में विश्रुत विद्वान महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी द्वारा भगवान महावीर के कतिपय लोकोपयोगी सूत्रों पर दिये गये प्रभावी प्रवचनों का महत्वपूर्ण संकलन है | प्रवचन के क्षेत्र में महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी का अपना स्थान है । शास्त्रीय चेतना के साथ युगीनता एवं मनोवैज्ञानिकता का जो प्रयोगधर्मी रूप उनके प्रवचनों में प्राप्त होता है, वह उनकी प्रभावकता को परिपष्ट करती है । मानवता की धरी पर केन्द्रित उनका चिन्तन-मनन व्यक्ति की अंतश्चेतना को जागृत और पवित्र करने पर जोर देता है। __ अपने इन प्रवचनों में मनीषी संत ने जनसमुदाय को सेवा, भाईचारा, मानवता और सत्य की उपासना पर बल दिया है, वहीं तनाव-मक्ति, मानसिक एकाग्रता, ध्यान और आत्म-शद्धि के लिए भी परामर्श दिया है । निश्चय ही ग्रन्थ की उपयोगिता सार्वजनीन है। किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं वरन् हर कौम, हर आदमी के लिए ये प्रवचन प्रशस्त मार्गदर्शक, ज्ञानवर्धक और मंगलकर हैं ।
समर्पित है पाठक-वर्ग को महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी का स्वस्तिकर लेखन, हमारा अभिनव प्रकाशन ।
डी. आर. मेहता,
सचिव प्राकृत भारती अकादमी,
जयपुर
प्रकाश दफ्तरी
सचिव जितयशा फाउंडेशन
कलकत्ता
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