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________________ लच्छेदार भाषणों से किसी को कुछ समय के लिये तो बांधा जा सकता है, लेकिन सदा के लिये नहीं | भाषणों में कहना कुछ और व्यवहार में उतारना कुछ, यह हमारे व्यक्तित्व के खोखलेपन का परिचायक है। मैंने सना है, एक सभा में एक यवक अण्डा सेवन के विरोध में भाषण दे रहा था । अब तक के पन्द्रह मिनट के भाषण में लोगों ने पच्चीसों दफा तालियां बजायी होंगी । लेकिन लोगों की आँखें तब फटी की फटी रह गयीं जब युवक द्वारा पसीना पोंछने के लिये रूमाल निकालने पर जेब से एक अण्डा बाहर निकल पड़ा । ___ प्रायः भाषणबाजी करने वाले लोग ऐसे ही जीवन-विरोधी होते हैं। ये न केवल औरों को अपितु स्वयं को भी कोरे आश्वासन देते हैं । क्षमा पर घंटों भाषण देने वाले लोगों का, पलभर में मैंने दूध उफनते देखा है । इसलिए महावीर कहने पर कम और करने पर ज्यादा जोर देते हैं। ज्ञान और आचरण दोनों को एक साथ जीवन में उतारने के लिये प्रेरणा देते हैं । भला एक चक्के से कभी रथ चल सकता है, 'न हु एग चक्केण रहो पयाई ।' ___ महावीर ने आज के सूत्र में दो शब्दों का प्रयोग किया - बन्ध और मोक्ष | दोनों शब्दों के अन्तंरग में जाना है । ये दोनों जीवन में एक साथ घटित होते हैं | बन्धन तोड़ने के बाद मोक्ष मिलता हो, ऐसी बात नहीं है । हकीकत में बन्धन-मुक्ति ही, मोक्ष है । लोग बंधन और मुक्ति की चर्चा तो काफी कर लेते हैं, पर वे न तो अपने बंधनों को पहचान पाते हैं और न ही मोक्ष पर विश्वास कर पाते हैं | बंधन और मोक्ष इतने सूक्ष्म हैं कि इन्हें दिखाया नहीं जा सकता, मात्र अनुभव किया जा सकता है -- जे पद श्री सर्वज्ञे दीठू ज्ञान माँ कही शक्या नहीं पण ते श्री भगवान जो । तेह स्वरूप ने अन्यवाणी तो छू कहे | अनुभव गोचर मात्र रह्यं ते ज्ञान जो । जिस मोक्ष की, स्वयं सर्वज्ञ ने अपने ज्ञान में देखकर भी व्याख्या नहीं की, भला एक सामान्य व्यक्ति उसकी व्याख्या कैसे कर पाएगा । यह ज्ञान मात्र अनुभव गोचर है। १४४/ ज्योति कलश छलके : ललितप्रभ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003891
Book TitleJyoti Kalash Chalke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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