________________
तुम्हारी सम्पदा तुम्हारे पास
परमात्मा हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और हमसे यह अधिकार कोई भी छीन नहीं सकता, हमें इस अधिकार से वंचित नहीं कर सकता। दुनिया की ऐसी कोई ताकत नहीं है जो हमें परमात्मा से अलग कर सके । हम चाहे आस्तिक हों या नास्तिक, परमात्मा तो हम सबके स्वभाव में बसा है । नास्तिकता भी उसी परमात्मा की अभिव्यक्ति है और आस्तिकता भी उसी की अभिव्यक्ति है ।
कोई आदमी कहता है कि मैं परमात्मा में विश्वास नहीं रखता तो यह बात खुद परमात्मा ही तो कह रहा है। एक आदमी जब कहता है कि मैं परमात्मा के प्रति श्रद्धानवत हूं तो यह कहने वाला खुद उसके भीतर बैठा परमात्मा ही तो है ।
(
८०
)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org