SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तो जन्म से मृत्यु के बीच के पड़ावों का नाम है। जहां से रवाना होकर वहां तक पहुंचना है। जहां से रवाना हुए वो जन्म और जहां पहुंचें वह मृत्यु । जीवन तो बीच का विश्राम है। ऐसा नहीं है कि मृत्यु व्यक्ति को परम विश्राम देती है । जीवन के चलते तो विश्राम सम्भावित है, लेकिन जब व्यक्ति मृत्यु के द्वार से गुजरता है तो उसे विश्राम नहीं मिलता, पुनर्जन्म की एक और यात्रा शुरू हो जाती है। अस्तित्व की प्रत्येक अवस्था के साथ समय चलता है। चाहे जन्मना हो या मरना हर काल और अवस्था के साथ समय का अस्तित्व बना रहता है । चाहे आकाश में तारे उगें या बिखर जाएं । चाहे सूर्योदय हो या सूर्यास्त । चाहे पृथ्वी का सृजन हो या विध्वंस । चाहे मनुष्य का निर्माण हो या सर्वनाश । हर अवस्था के साथ समय का अस्तित्व बना रहता है। सृष्टि में जितने भी तत्व हैं, हर तत्त्व का निर्माण और नाश होता है। लेकिन 'समय' ऐसा तत्व है जिसकी कभी मृत्यु नहीं होती । समय की मृत्यु कभी होगी भी नहीं । समय शाश्वत है। वह अक्षय है। समय के अलावा हर चीज में परिवर्तन होता है मगर समय में कोई परिवर्तन नहीं होता। मृत्यु आती है, लेकिन वह कोई हौव्वा नहीं है। मृत्यु कोई यमराज के मैं से पर बैठकर नहीं आती, दिखाई भी नहीं देती। दरअसल मृत्यु समय का ही दूसरा नाम है। जब व्यक्ति का समय चुक जाता है तो मृत्यु हो जाती है । मृत्यु और कुछ नहीं, समय का चुक जाना ही है। जन्म और कुछ नहीं, समय का ही प्रादुर्भाव है। ठीक ऐसे ही जैसे रेत की घड़ी होती है। इस घड़ी को सीधा रखते ही कणकण रेत नीचे आने लगती है। यह रेत नहीं है, जीवन है जो नीचे ( १३४ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy