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जैसे दार्शनिक और महामनीषी संत के द्वारा भगवान महावीर के महासूत्रों पर प्रकाश डालने से इनमें और अधिक प्राण आ चुके हैं।
चन्द्रप्रभजी सक्रिय प्रगतिशील विचारक हैं। वे बड़ी सदाशयतापूर्वक हर किसी धर्म और उसके महापुरुषों पर न केवल जनमानस को सम्बोधित करते हैं, वरन् वे हम सबको सारे संसार के ज्ञान-विज्ञान से जुड़ने का बेहतर नजरिया भी प्रदान करते हैं । जीवन, जगत और अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों को वे जितने सटीक और मनोवैज्ञानिक ढंग से हम सब लोगों के दिलों में उतार देते हैं, वह अपने आप में चमत्कृत कर देने वाला है।
इन दिव्य प्रवचनों को जब हम पढ़ेंगे, तो यह स्वतः अहसास होता चला जाएगा कि भीतर की गुफा में किस तरह प्रकाश ने अपना प्रवेश पा लिया है। प्रकाश को वे ही पहचान सकते हैं जिन्हें स्वयं के अंधकार में होने का अहसास हो चुका है। हम इन दिव्य प्रवचनों को धैर्यपूर्वक पढ़ें । निश्चय ही पूज्यश्री के ये वक्तव्य हमारे लिए मील के पत्थर का काम करेंगे।
हम प्रवेश करते हैं सीधे मूल वाणी में - अन्तर्बोध, अन्तरप्रकाश के लिए।
- तृप्ति
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