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________________ योग के प्रेक्टिकल प्रयोग मेरे प्रिय आत्मन्, योग विशुद्ध रूप से जीवन जीने का एक तरीका है । यह वह तरीका है जिसे हम 'द वे ऑफ़ गुड लाइफ़' कहेंगे। योग स्वास्थ्य से समाधि तक का एक महान सफ़र है। इससे रक्त प्रवाह सुचारु रहता है, शरीर के अंदरूनी रासायनिक परिवर्तन सकारात्मक बनते हैं, शरीर की जकड़न, जड़ता, प्रमाद दूर होते हैं, शरीर अधिक स्वस्थ व ऊर्जावान बनता है, पर यदि इसे आध्यात्मिक चेतना के विकास के रूप में लिया जाए तो प्राण- चेतना की शुद्धि, भाव- चेतना की शुद्धि, ज्ञान- चेतना की शुद्धि और विकास में सहायता मिलती है। व्यक्ति जैसी प्रतिभा लेकर जन्म लेता है केवल उसी के सहारे जिया नहीं जा सकता बल्कि उसे पहचान कर विकसित करना होता है। योग भी हमें परिणाम देता नहीं है, वरन् हमें योग से परिणाम प्राप्त करने होते हैं । दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं है जो स्वयं परिणाम दे, अपितु उसके साथ एकलय होकर हमें उसका परिणाम प्राप्त करना होता है । पुरुषार्थ करने से ही कोई मार्ग हमें परिणाम देगा । अन्यथा कितना ही महान मार्ग क्यों न हो, वृथा है । हमें लगता Jain Education International For Personal & Private Use Only | 23 www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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