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________________ कर पाएँगे, तब हम ईश्वरीय चेतना के साथ जुड़ने के भाव से ध्यान करेंगे। वही हमारी धारणा और ध्यान होगा। उसी में से समाधि के फूल खिलेंगे। समाधि के फूल खिलें या न खिलें बस एक ही बात का ख़याल रखेंगे कि अपने हृदय में उतरकर उस निराकार अरूपी का ध्यान करेंगे जो दिखाई नहीं देता फिर भी है। उसे महसूस किया जा सकता है, अनुभव किया जा सकता है । भीतर उतरें, अपनी निजता से प्यार करें। पतंजलि के योगसूत्रों के सहारे हमने कुछ रास्तों को तलाशने और तराशने की कोशिश की है। इंसान ऊपर उठे कमल के फूल की तरह, दीपक की ज्योति की तरह ऊपर उठे । हमारा उद्देश्य व लक्ष्य ऊपर उठा होना चाहिए। हम सभी अपने लक्ष्य को प्राप्त करें । पतंजलि हमारे लिए किसी प्रकाश स्तम्भ की तरह हैं और उनके योगसूत्र हमारे लिए स्वास्थ्य, शांति, शक्ति और सच्चिदानंद को पाने का रास्ता है । रास्तों का मूल्य तभी है जब कोई उस पर चले । मानता हूँ सारे बीज फलित नहीं होते, पर माली फिर भी सींचता है, कुछ फलते हैं, कुछ जलते हैं। जो जल गए, वे व्यर्थ गए, जो फल गए, वे धन्य हुए। उनके पाँवों में घुंघरू ठमके । वे विभोर हुए। अस्तित्व उन पर आशीर्वाद बरसाएगा। वे चाँद-सितारों की तरह चमकेंगे, दमकेंगे। ऐसे लोग जहाँ रहेंगे, शांति और आनंद का विस्तार होगा । आप सबके लिए अमृत प्रेम है, प्रणाम भी । 190 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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