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आदरणीय बनता है तभी वह धीरे-धीरे योग की ओर भी परिपक्व होता है। इस तरह समाधि, ऋतम्भरा प्रज्ञा, कैवल्य या सर्वज्ञता तक पहुँचने के लिए, परमात्म-तत्त्व तक पहुँचने के लिए हमें सर्वप्रथम यम के द्वारा स्वयं को परिपक्व कर लेना चाहिए।
आज के लिए इतना ही प्रेमपूर्ण अनुरोध.... नमस्कार!
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