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________________ अपनाते हुए, सकारात्मक विचार रखते हुए दूसरों के प्रति सकारात्मक, उदारतापूर्ण सौम्य व्यवहार करें। वाणीगत हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए मधुरता, विनम्रता, निरहंकारिता से बोलें। अतीत हमने नहीं देखा, भविष्य देख पाएँगे या नहीं पता नहीं, लेकिन वर्तमान हमारे सामने है।हम लोग वर्तमान को Present कहते हैं और उपहार को भी Present कहते हैं। वर्तमान स्वयं ही एक उपहार है और इसे उपहारपूर्ण बनाने के लिए अपनी वाणी का तहज़ीब से, सलीके से इस्तेमाल करें। कायिक हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए समिति और गुप्ति का पालन करें अर्थात् अपनी प्रत्येक प्रवृत्ति को, बोधपूर्वक, ज्ञानपूर्वक, होशपूर्वक सम्पादित करें। .. पारिवारिक और सामाजिक धरातल पर अहिंसा को जीने के लिए एक सूफी संत की घटना को समझिए - कहा जाता है कि एक उच्च कुलीन दर्जी संत बन गया। उसने उच्चतम दशा प्राप्त कर ली। उसका प्रभाव भी इतना बढ़ा कि राजा-महाराजा भी दर्शन को आने लगे। एक बार किसी राजा ने उनके दर्शन की इच्छा की और सोचने लगा कि संत के पास क्या भेंट लेकर जाऊँ। उसे ख्याल आया कि संत तो जन्मजात दर्जी रहे हैं। अत: कुछ ऐसी भेंट लेकर जाऊँ जो उनके मूल स्वभाव से जुड़ी हो। ऐसा सोचकर उसने सोने की कैंची बनवाई और उसमें हीरे-मोती रत्न आदि जड़वा दिए। इस कैंची को उन्होंने महात्मा को भेंट कर दी। संत ने जैसे ही कैंची देखी, मुस्कुरा दिए और उपहार को लेने से इंकार कर दिया। राजा ने पूछा - महात्मन् ! आपने यह सोने की कैंची लेने से इंकार क्यों कर दिया। संत ने कहा - मुझे कैंची की आवश्यकता नहीं है। राजा ने कहा - महात्मन्! यह सोने की है। इस पर हीरे-मोती आदि रत्न जड़े हैं। संत ने कहा - भले ही यह सुवर्ण-मंडित रत्न-जड़ित है, पर मुझे कैंची की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि कैंची हमेशा काटने का काम ही करती है। तब राजा ने पूछा - महात्मन्! अब आप ही बताइए कि मैं आपको क्या नज़राना दूं। संत ने कहा - राजन्! आप मुझे भेंट देना ही चाहते हो तो एक सुई और धागा दे दो, भले ही सुई लोहे की ही हो। टूटे हुए लोगों को, टूटे हुए ख्वाबों को, फटे हुए कपड़ों को सीने और जोड़ने के काम तो आएगी। ___ कैंची हिंसा का, आतंक और उग्रवाद का प्रतीक है और सुई-धागा अहिंसा का, शांति का, प्रेम का, भाईचारे का, विश्वशांति का प्रतीक है। जोड़ा तो आपकी महिमा है, तोड़ तो कोई भी सकता है। जब बुद्ध के सामने अंगुलीमाल पहुँचता है और तलवार चलाने को उद्यत होता है, बुद्ध पूछते हैं - तुम्हारी तलवार में धार है? वह कहता है – हाँ और तलवार पेड़ पर चला देता है। पेड़ की टहनी कट जाती है। बुद्ध कहते हैं - धन्य है, तुमने एक ही वार में पेड़ काट दिया, पर इस कटी हुई टहनी 108 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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