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का शंखनाद नहीं होता। भगवान कृष्ण का पाँचजन्य शंख मनुष्य को जगाने वाला नाद है। तभी तो कोई धन्ना जैसा व्यक्ति जाग जाता है । पत्नी की आँखों में आँसू देखकर धन्ना सेठ आँसू का कारण पूछता है । पत्नी बताती है, 'मेरा भाई साधु बनने वाला है। वह संन्यास के पथ पर अग्रसर हो रहा है। उसने भगवान का प्रवचन सुना और इतना प्रभावित हुआ कि रोज एक-एक पत्नी का त्याग कर रहा है । सोलह को तो त्याग चुका है, सोलह और हैं, उन्हें भी एक-एक कर छोड़ देगा। फिर भगवान की शरण में चला जाएगा, संन्यास ग्रहण कर लेगा ।' धन्ना ने कहा, 'इसमें रोना क्या ?' पत्नी ने कहा, 'भाई साधु बनेगा तो क्या मुझे रोना नहीं आएगा ?' 'अरे, ऐसा भी क्या वैरागी कि एक-एक पत्नी छोड़ रहा है । लगता है अभी काम - भोग की इच्छा से मुक्त नहीं हुआ है। जिसे छोड़ना होता है वह एक-एक कर नहीं, सभी को एक साथ छोड़ देता है ।' पत्नी ने कहा, 'मान लिया, मेरा भाई कायर है, लेकिन तुम भी तो भगवान के प्रवचन सुनकर आए थे, तुम्हारा क्या हुआ ? वह तो एक-एक पत्नी छोड़ रहा है तुम तो कुछ भी न छोड़ पाए । तुम्हारे भी आठ पत्नियाँ हैं, तुम उन्हें छोड़ कर दिखाते।' वह उसकी पीठ पर उबटन लगा रही थी। धन्ना ने उसके वचन सुने और तुरन्त उठकर खड़ा हुआ और घर के बाहर निकल गया। वस्त्र भी पूरे न पहने थे, पत्नी ने कहा, 'यह क्या कर रहे हो ?' धन्ना बोला, ‘तूने जो कहा, वही करके दिखा रहा हूँ। अब तो भगवान के चरणों में जाऊँगा और मुक्ति - पथ का अनुसरण करूँगा ।' पत्नी ने कहा, 'लेकिन मैं तो मजाक कर रही थी ।' 'तेरा मजाक मेरे संन्यास का आधार बन गया है' -धन्ना ने कहा और चला गया ।
मजाक भी जाग्रत लोगों के लिए क्रांति का संदेश लेकर आता है, जीवन की क्रांति का । भगवान बुद्ध कहते हैं जाग्रत कौन ? संत कौन ? जो सोते हुए भी जागता है अर्थात् सावचेत रहता है वही संत है । हम तो जागे हुए दिखाई पड़ते हैं, लेकिन तब भी सोए हुए ही हैं । हमारा चेतन निद्रा में, मूर्च्छा में है। हम तो खुली आँखों में भी सोए हैं, लेकिन जो बंद आँखों में भी जागा रहता है, वही जाग्रत - पुरुष है। अतः हे मनुष्यो, सतत जाग्रत रहो । बेहोशी एक क्षण भी जीवन को प्रमादग्रस्त कर देती है । महावीर भगवान ने गौतम को संदेश दिया था, 'समयं गोयम मा पमायए ।' गौतम एक क्षण के लिए भी निद्राग्रस्त न होना, एक क्षण के लिए भी प्रमाद मत करना । यह तो जाग्रति का समय
धार्मिक जगे, अधार्मिक सोए
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