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विचार पर करें विचार
विचार तीन तरह के होते हैं-विचार, अविचार, निर्विचार।
विचार की स्थिति वह है जहाँ व्यक्ति सामान्य रूप में सोच रहा है। अविचार की स्थिति वह है जहाँ व्यक्ति के पास सोचने की क्षमता नहीं है, वह जडबुद्धि है। निर्विचार की स्थिति वह है जहाँ व्यक्ति अनावश्यक विचारों से स्वयं को बचाए रखता है। अब देखें कि दिनभर कितने विरोधाभासी विचार आपके दिमाग़ में पनपते रहते हैं। शायद आप जानते हों कि मस्तिष्क में पनपने वाले विचारों का एक दिन में पांच प्रतिशत ही उपयोग हो पाता है। पिच्यानवें प्रतिशत विचारों का जीवन में कोई सीधा ताल्लुक नहीं होता। परिणामतः आप रात में सोए हैं तो विचार आपको प्रभावित कर रहे हैं। अगर आप तनावग्रस्त हैं तो इसका कारण है कि आपके विचार संतुलित नहीं है। आप चिंताग्रस्त हैं तो इसका कारण आपके विचारों का उखड़ापन है। आप अवसाद या घुटन से भरते जा रहे हैं तो यह जान लें कि आप अपने विचारों का संतुलन बिठाने में असमर्थ हैं। और तो और, घर में लड़ाई-झगड़ा शुरू हो गया है तो इसका मूल कारण है कि हम घर में वैचारिक सामंजस्य नहीं बना पा रहे हैं।
विरोधाभाषी विचार -- सुबह कुछ, दोपहर कुछ और सांझ को कुछ और होता है। दस मिनट पहले हमारे मन में जिसके प्रति मैत्री के विचार थे दस मिनट बाद ही उसके प्रति मन में द्वेष के, दुश्मनी के विचार उत्पन्न हो जाते हैं। थोड़ी देर पहले आप शांत थे लेकिन थोड़ा-सा निमित्त मिलते ही दो मिनट बाद आप अशांत हो जाते हैं।
निराशा, अनुत्साह, तनाव, भय, चिंता, अवसाद, क्रोध, कुंठा – ये सभी दोष इसीलिए होते हैं कि हम अपनी वैचारिक स्थिति को संतुलित नहीं रख पाते हैं। व्यक्ति के देखने और सोचने के दो नज़रिये होते हैं - व्यग्रता से सोचना, समग्रता से सोचना।
कभी कोई अचानक दुर्घटना हुई, कभी किसी ने अप्रिय शब्द कहे, हम समाज के मध्य बैठे और हमारे विरुद्ध गलत टिप्पणी हुई कि हम तत्काल अपनी सोच को व्यग्र कर लेते हैं और ग़लत निर्णय कर लेते हैं। एक व्यक्ति रोज़ स्थानक में जाता था। संयोग की बात कि स्थानक में दूसरे पदाधिकारी से उसका
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