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________________ गिरे, मेरा सपना टूट गया।' अकबर का इतना कहना था कि सभासदों ने जोरदार तालियाँ बजाई और बीरबल की मजाक उड़ाने लगे । अब बारी बीरबल की थी। उसने कहा- जहाँपनाह! सपना तो जो आपने देखा, हू-ब-हू वैसा ही सपना मैंने भी देखा, पर मैंने देखा कि अपन दोनों गड्ढ़े में से बाहर आये और मैं आपको चाटने लगा और आप मुझे । बीरबल की बात सुनकर सभासद झेंप गए और अकबर का मुँह देखने लायक था। याद रखो तुम किसी की मजाक उड़ाओगे तो वापस तुम्हारे साथ वैसा ही होने वाला है। तर्क करें, तक़रार नहीं अगला पाठ है, तर्क भले ही करें, पर तकरार न करें। आप समाज में उच्च पदस्थ हैं तो अपनी बात ज़रूर रखें, तर्क के साथ रखें, पर उसे बहस पर ले जाकर तक़रार करना ओछापन है । अपनी बात सम्मानपूर्वक शालीनता के साथ औरों के सामने पेश करें, लेकिन अपनी बात को सिद्ध करने के लिए कुतर्क करने की बजाय सहज रूप से पेश करें। अगर आप सही हैं तो कोई माने या न माने उसकी मर्ज़ी | आप बहस करेंगे तो आग ही निकलेगी और वहीं तर्क से रोशनी निकलेगी। आपकी बात में तर्क और बुद्धि की रोशनी तो हो लेकिन तक़रार और बहस की आग न हो । अपने विचारों को खुला रखें, व्यर्थ की बहसबाजी और तक़रार में न उलझें । एक व्यक्ति सुअर से कुश्ती लड़ने गया। अब अगर वह जीतेगा तो भी कपड़े गंदे होंगे और हारेगा तो भी कपड़े गंदे होंगे। सूअर से कुश्ती लड़ोगे, तो उसका कुछ न बिगड़ेगा । हार और जीत में कपड़े तो तुम्हारे ही गंदे होंगे। ऐसी कुश्ती का क्या लाभ जिसमें तुम्हारे कपड़े गंदे हों । पिछले दिनों हम जयपुर में थे । वहाँ एक महानुभाव बहुत-सी संस्थाओं से जुड़े हुए किसी के अध्यक्ष थे, किसी के मंत्री । मैंने पूछा, 'आप इतनी संस्थाओं को कैसे संभालते हैं, इन सबके बीच अपने मन को कैसे शांत रख पाते हैं और कैसे समझाते हैं।' उन्होंने कहा, 'मैं ऐसी मीटिंग में ही बैठता हूँ शांतिपूर्वक सम्पन्न होती है। अगर कोई भी जोर से बोलता है तो मैं वहाँ से खड़ा हो जाता हूँ। मीटिंग का मूल्य है, समाज का मूल्य है, उस व्यक्ति का भी Jain Education International 87 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003885
Book TitleJivan ki Khushhali ka Raj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2006
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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