________________
उससे निकटता बढ़ाने में सालों-साल लग सकते हैं, लेकिन दोनों के मध्य का विपरीत वातावरण उस दोस्ती को दस मिनट में अलग कर सकता है। मित्र और संबंध बनाना सरल हो सकता है, लेकिन उन्हें दीर्घ अवधि तक यथावत बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए मैं कहता हूं कि अपनी दष्टि उदार रखो, केवल मित्र को ही मित्र न मानो, सभी से मैत्री रखो। पता नहीं जीवन में कब किससे क्या काम पड़ जाए। दुश्मन भी अगर है तो मन में उसके प्रति भी प्रेम भाव रखें। कभी दुश्मन को मिटाने की न सोचें, सोचते हैं तो दुश्मनी मिटाने की सोचें। उसके साथ भी मैत्री व्यवहार बढ़ाने की ही सोचें क्योंकि पता नहीं, कब वह आपके जीवन में किस रूप में काम आ जाए। ___महावीर और मैक्यावली के सिद्धांत में यही तो फ़र्क था कि महावीर कहते थे -- तुम अपने दुश्मन को भी दोस्त मानो और मैक्यावली कहते थे तुम अपने दोस्त के साथ भी दुश्मन की तरह सावधानी रखो। इसलिए मित्र ऐसे बनाएं जो आपसे बेहतर हों। बचपन में हमारे पिता हमसे कहते थे कि अपने से बड़े-बूढ़े लोगों को अपना मित्र बनाओ ताकि तुम्हारे संस्कार परिष्कृत हो सकें और उनके जीवन के अनुभवों का लाभ भी तुम्हें मिल सके। ____ जीवन में आप मित्र बनाना चाहते हैं तो अपने से बेहतर लोगों को ही मित्र बनाएं। अगर आप किशोरावस्था के हैं, युवावस्था के हैं तो किसी से अधिक मित्रता न बढ़ाएँ। अगर मित्रता बढ़ भी गई है और आपकी जानकारी में उसकी गलती आ गई है तो तत्काल उससे दूरी बना लें। दूसरे अपने मित्रों को ज्यादा घर में आवागमन न दें। अगर ज्यादा मित्र घर में आ रहे हैं तो ध्यान रखें घर में आप अकेले नहीं आपकी पत्नी भी है। आप पति-पत्नी ही नहीं आपकी बेटी भी है, केवल बेटी ही नहीं परिवार के अन्य सदस्य भी हैं। इसलिए जब तक आप पूरी तरह संतुष्ट न हो जाएँ दोस्तों को घर में प्रवेश न दें। यह दुनिया तो ऐसी हो गई है कि अपने खून के साथ भी पूरा भरोसा नहीं रख सकती तो दोस्तों के प्रति भरोसा कैसे रखा जा सकता है। घर, घर वालों के लिए ही
अपने घर का पता या फोन नंबर हर किसी को न दें। दुकान का काम दुकान तक रहे, मित्रों का काम समाज व संस्था तक रहे। घर में तो परिवार के
47
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org