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बीच आपके पति को भद्र, सज्जन बताया जा रहा है तो विपरीत टिप्पणी करके उसे दुर्जन घोषित मत कीजिए । पति के साथ लचीला व्यवहार रखें। दोष किसमें नहीं होता। उसमें दोष न होता तो तुमसे शादी ही क्यों करता, संत ही न बन जाता । कमियाँ दोनों में हैं और अगर आप दोनों एक-दूसरे के साथ समझौता कर लेंगे, तो परिवार खुशहाल बन सकेगा।
एक बात और, अपने पति को कभी गलत कार्य करने के लिए प्रोत्साहित न करें। पति को सुधारने में अगर पत्नी का हाथ है तो उसे बिगाड़ने में भी उतना ही हाथ पत्नी का होता है । अगर गलत काम करके पति द्वारा धन घर में लाया जाए तो उसे प्रोत्साहन न दें। आप पति को बताएं कि आप ऐसे धन को घर में रखना पसंद नहीं करते जो गलत तरीके से कमाया गया है। पति के गलत तरीके से कमाए हुए धन से आप महंगी सोने की चूड़ी खरीद कर पहन लेंगे, पर याद रखें आपके पति के हाथों में आने वाली हथकड़ियों को आप नहीं रोक पाएंगे।
गलतियों को दफ़न करें कब्र में
अपने घर को खुशहाल बनाना है तो परिवार का हर सदस्य अपने साथ एक कब्रिस्तान रखें और दूसरों की गलतियों को उसमें दफन कर दे। अगर आपकी भूलने की आदत है, तो औरों की भूलों को भूलने की कोशिश करें । आप हमेशा सरल रहें, दूसरों के साथ सदा नम्र बने रहें और दूसरों को अहसास कराते रहें कि तुम्हारी यह नम्रता तुम्हारा बड़प्पन है, न कि तुम्हारी कमजोरी। जिस दिन लगे कि तुम्हारा हाथ जोड़ना दूसरे को तुम्हारी कमजोरी लग रहा है तो उसे अहसास करा दें कि तुम्हें हाथ उठाना भी आता है।
मैं संकेत कर रहा था कि पति को कभी गलत ढंग से धन कमाने को प्रोत्साहित न करें। मैंने सुना है एक व्यक्ति नदी के पुल से कहीं जा रहा था। वह किसी फैक्ट्री का कर्मचारी था, यात्रा पर निकला था। थोड़ी देर आराम करने के लिए रुका और कुर्सी पर बैठा । आराम कर ही रहा था कि यकायक, उसके पास जो ब्रीफकेस था वह पानी में गिर पड़ा। ब्रीफकेस तो अधिक कीमती न था, पर उसके अंदर जरूरी कागजात थे । बेचारा रोने लगा, गुहार लगाने लगा कि कोई पानी में से ब्रीफकेस निकाल दे। उसके रोने की आवाज सुनकर जल देवता वहाँ प्रकट हो गए। जल देवता ने पूछा, 'क्या हुआ
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