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साथ और न केवल धन के साथ जिया जाता है। जीवन तो आखिर जीवन के साथ जिया जाता है। इसलिए जब आप जीवन-साथी का चयन करें तब बारीकी से ध्यान रखें। उसका स्वभाव कैसा है, उसका व्यवहार, सोच, जीवन-शैली कैसी है, क्योंकि आपके जीवन के ज्यादातर सुख और दुःख आपके जीवन साथी से जुड़े हुए हैं।
पत्नी को अपना समय भी दें। केवल उसे पहनने के लिए कीमती सोने की चूड़ियाँ और वस्त्र ही न दें अपना कीमती समय भी उसे दें क्योंकि वह आपसे थोड़ा समय भी चाहती है। आप ऑफिस से घर पहुंचे और देखा कि पत्नी सोई है, क्योंकि उसके सिर में भयंकर दर्द हो रहा है। आप उसके पास गए और उसके सिर पर हाथ रखा और कहा - यह क्या हो गया, चलो तुम्हें डॉक्टर के पास ले चलूं डॉक्टर को दिखा लाता हूं। पत्नी की आँख में आँसू
आ जाते हैं। तुम परेशान हो जाते हो कि मैं तो इसके डॉक्टर के पास ले जा रहा हूं और यह तो रोने लग गई है। आँसू इसलिए आए कि तुमने प्रेमभरा हाथ उसके माथे पर रखा उसने महसूस किया कि मेरे पति के पास मेरे लिए समय भी है। पत्नी अर्धांगिनी है, गुलाम नहीं
तुम्हारा समय धन कमाने में, दोस्तों, परिचितों में चला जाता है, अपनी पत्नी को भी समय देना सीखिए। आपका समय आपकी पत्नी के लिए सबसे बड़ा उपहार है। वह आपसे समय चाहती है, उसकी उपेक्षा न करें। न ही उसे अपने अहंकार का पोषण करने का माध्यम ही बनाएं। अपने क्रोध को प्रकट करने का पात्र भी उसे न बनाएं। याद रखें, वह आपकी अर्धांगिनी है, पत्नी है - नौकर और गुलाम नही। मैंने देखा है, लोग बाहर दूसरों के साथ बहुत नरम होते हैं, और घर जाकर पत्नी के साथ छोटी-छोटी बात में गरम हो जाते हैं। ___एक व्यापारी जो व्यापार में ग्राहकों के साथ नरम थे, समाज की मीटिंगों में सब लोगों के साथ नरमाहट से पेश आते थे लेकिन जैसे ही घर में घुसते सीना तानकर खड़े हो जाते, आँख ऊंची करके गम्भीर हो जाते, नरमाहट गरमाहट में बदल जाती। क्यों? अपनी पत्नी को हर समय कोप का भाजन न बनाएं। ऐसा न हो कि बाजार की झंझटबाजी आप घर पर ले आएं, पत्नी भी
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