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________________ नहीं होता, क्योंकि एक व्यक्ति के गलत आचरण को समूह ढोये, यह सही नहीं है। आप अपनी मनमर्जी को घर वालों के लिए भारभूत ना बनाएँ । 1 याद रखें, जब बोलें तो किसी का मज़ाक उड़ाते हुए न बोलें। आप नहीं जानते आप तो मज़ाक के मूड में बोल रहे हैं, पर सामने वाला किसी गंभीर मूड में आया है। तब आप उसके मन को बहुत बड़ी चोट पहुँचा रहे होते हैं जब भी मज़ाक करें इस बात का ध्यान रखें कि सामने वाला भी मज़ाक के मूड में है या नहीं । जिह्वा आपको ज़रूर मिली है पर इसके चारों ओर बत्तीस पहरेदार भी हैं। ये बत्तीस दांत आपकी जीभ को बचा रहे हैं लेकिन इस जीभ का आपने गलत उपयोग कर लिया तो यह जीभ बत्तीस दांत तुड़वा भी सकती है। इसलिए भद्र शब्दों का प्रयोग करें, शालीनता बनाए रखें। एक बात और, सड़क चलते खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। राह के किनारे खड़े चाट-पकौड़ों के ठेले से वस्तुएं लेकर खाते लोगों को देखा करता हूँ। चले जा रहे हैं सड़क पर कि ठेला दिखाई दिया और खड़े हो गए। हाथ धोए नहीं, घर से चले थे जब जूते बांधे थे, गाड़ी चला रहे थे तो धूलगंदगी हाथों पर आ गई, लेकिन लिया दोना और झट से खाना शुरू कर दिया। विवेक रखें, खानपान में विवेक रखें। शालीनता हो खाने-पीने में, उठनेबैठने में। जो भी काम आप कर रहे हैं, हर उस काम के साथ शालीनता जुड़ी रहे । आएँ औरों के काम एक अन्य बात जो जीवन में जीने जैसी है वह है- वक्त-बेवक्त औरों के काम आना सीखें। जिंदगी में कभी किसी का समय एक जैसा नहीं रहता है, न मेरा और न ही आपका। अगर मैं अहंकार करूं कि मुझे सुनने के लिए हजारों लोग आते हैं - पर पता नहीं है कि मेरा कल क्या होगा । आज मुझे सुनने के लिए लोग तड़पते हैं यह सोचकर अहंकार न करें बल्कि यह सोचकर विनम्र रहें कि भगवान ने जब तक यह ज़बान दी है तब तक है, दुनिया में कई लोग हैं जिनकी ज़बान को लकवा हो गया और उनकी बोलती बंद हो गई । कब तक किसकी चली है। अगर कोई ऊपर बैठा है तो ऊपर नहीं हो जाता और जो नीचे बैठा है वह नीचे नहीं हो जाता। कौन बड़ा कौन छोटा, किस बात का अहंकार । Jain Education International 115 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003885
Book TitleJivan ki Khushhali ka Raj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2006
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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