________________
के लिए अपना सारा साम्राज्य उस युवक के नाम करने को तैयार हो जाऊंगा।' फ़क़ीर मुस्कुराये और बोले, 'तो यही है तुम्हारे इस तथाकथित अकूत वैभव
और ऐश्वर्य का मोल। पता है तुम्हारे इस सम्पूर्ण राज्य का मोल कितना है? एक लोटा पानी जितना। मैं तुम्हें यही बोध देना चाहता था कि तुम जो इतना यशोगान कर रहे हो इसकी कीमत केवल एक लोटा पानी है। धन नहीं, जीवन-धन
जिसने अपने जीवन का मूल्यांकन करना सीख लिया है, जिसने अपने जीवन की महानताओं को पहचान लिया है, जिसने अपनी मूल्यवत्ता जान ली है वह दुनिया की सम्पत्ति से ऊपर अपने जीवन को रखेगा इस जीवन का उपयोग करेगा और जीवन को बचाने की कोशिश करेगा। याद रखें, धन से सब कुछ पाया जा सकता है, सत्ता से सब कुछ पाया जा सकता है लेकिन इनसे जीवन नहीं पाया जा सकता। सत्ता और वैभव जीवन से अधिक महान नहीं हो सकते। ___ याद है ना जब सिकंदर भारत-विजय पर आया था तब उसे अस्सी वर्षीय वृद्धा मिली थी। उसने सिकंदर से पूछा, 'तुम कौन हो और कहाँ से आए हो?' सिकंदर ने कहा, 'मैं सिकंदर महान हूँ, विश्व-विजेता हूँ और यूनान से आया हूँ।' वृद्धा ने कहा, 'क्यों आया है ?' उसने कहा, 'विश्वविजय के अंतर्गत भारत को जीतने के लिए आया हूँ।' वृद्धा ने कहा, 'जब भारत को जीत लेगा तब क्या करेगा?''और जो पडौसी देश हैं उन्हें जीतूंगा।' 'उसके बाद क्या करेगा?' 'सारी दुनिया को जीत लूँगा।' 'उसके बाद क्या करेगा?' वृद्धा ने फिर पूछा। सिकंदर ने कहा, 'उसके बाद सुख की रोटी खाऊंगा।' वृद्धा ने कहा, 'आज तुझे कौन-सी सुख की रोटी की कमी है जो जान बूझकर दुःख की रोटी की ओर क़दम बढ़ा रहा है। याद रखना जो व्यक्ति अपने जीवन में बेलगाम आकांक्षाएँ रखता है वह सुख की रोटी खाने को तरस जाता है।'
ऐसा ही हुआ, सिकंदर अपनी आयु के पैंतीस वर्ष भी पूर्ण नहीं कर पाया था कि बीमार हो गया। रोग भी ऐसा लगा कि चिकित्सकों ने कह दिया कि उसे रोगमुक्त कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकीन है। उसकी आयु के एक-दो घंटे ही शेष रहे थे कि चिकित्सकों ने कह दिया कि अब उसे जो
106
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org