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कि पहले रानियाँ कोपभवन में जाकर बैठ जाया करती थीं। तनाव नहीं, गुस्सा नहीं, चिंता नहीं, हर हाल में मस्त रहें।
बहुत उत्साह रखें जिंदगी में। जीवन के प्रत्येक क्षण को उत्सव बनाएँ। यदि साधना में बैठ रहे हैं तो साधना के प्रति उत्साह रखें। कर्मयोग कर रहे हैं तो कर्मयोग के प्रति उत्साह रखें। यदि भक्तियोग में बैठ रहे हैं तो भक्ति में अपना उत्साह रखें। जितने उत्साह से हम जिस कार्य को करेंगे वह कार्य उतना ही पूर्ण होगा। जिस कार्य को जितना बोझिल और उदास मन से करेंगे वह कार्य उतना ही अपूर्ण और अधूरा होगा।
ज़िंदगी किसी तानपुरे की तरह है जिसे बजाने की, जीने की कला आनी चाहिये। इस मिट्टी की नश्वर काया में भी संगीत को.पैदा करने का शिल्प आना ही चाहिए। जैसे पेट का कब्ज अच्छी बात नहीं है वैसे ही दिलोदिमाग में भी कब्ज नहीं रहनी चाहिए। कब्ज कभी भी अच्छी चीजों
की नहीं होती। हर व्यक्ति प्रयत्न करे अपने मन के कब्ज को दूर करने के लिए। हर व्यक्ति कब्ज से मुक्त हो । भीतर के स्वास्थ्य का यही पहला लक्षण है- खूब प्रसन्न रहिए, सदा आनन्दित रहिए।
सबको अमृत प्रेम।
जीवन में अपनाएँ निश्चितता का नज़रिया
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