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________________ कहते हैं, कुछ समय पश्चात् राजा कहीं शिकार खेलने गया और रास्ता भटक गया। जंगल के आदिवासियों ने उसे घेर लिया। उन्हें बलि के लिए हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति की आवश्यकता थी और राजा में वे सब गुण मौजूद थे। आदिवासी राजा को पकड़ कर बलि के स्थान पर लेकर आए। राजा का गला उस बलिवेदी में फंसा दिया गया। राजा बहुत मिन्नत करता रहा। वह कहता रहा, 'अरे भई, मैं तो यहाँ का राजा हूँ।' पर आदिवासी कहाँ सुनने वाले थे? जैसे ही पुरोहित वध करने के लिए आया तो उसने कहा, 'ठहरो! देवी उसी व्यक्ति की बलि स्वीकार करती है जिसके सारे अंग अखंड हों, यह कहते हुए जब राजा के शरीर को टटोला गया तो उसकी एक अंगुली खंडित थी। पुरोहित ने कहा, 'छोड़ दो इसे।' चिंता मत पालो । निश्चिंतता को जीवन में किसी गुलाब के फूल की तरह विकसित हो लेने दो। जीवन के अंतिम क्षण तक अपने धैर्य को बरकरार रखो। प्रकृति हमारी जरूर मदद करेगी। जिंदगी में चाहे निन्यानवे द्वार भी क्यों न बंद हो जाएँ मगर जो धीरज रखता है, कुदरत उसके लिए कोई-नकोई एक द्वार जरूर खोल ही दिया करती है। .. कहते हैं, राजा छूट गया। उसने सबसे पहले अपने वजीर को साधुवाद दिया क्योंकि उसने ठीक ही कहा था कि 'जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है।' राजा राजसभा में पहुँचा। वजीर को स्वागत के साथ बुलवाया गया और उसे मुक्त कर दिया। राजा ने कहा, 'वजीर, तुम्हारे कारण ही मेरी जान बच गई। लेकिन मेरे मन में एक सवाल है। सवाल यह है कि मेरी अंगुली कट गई यह तो मेरे लिए अच्छा हुआ, पर मैंने तुम्हें कैदखाने में डाला, यह तुम्हारे लिए कैसे अच्छा हुआ? 'तुम यह कैसे कह पाओगे कि जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है।' वजीर ने कहा, 'जहाँपनाह ! जो होता है अच्छे के लिए ही होता है, इस सिद्धान्त पर आज मेरी और भी अधिक दृढ़ आस्था हो गई हैं। क्योंकि यदि आप मुझे कैदखाने में नहीं डालते तो मैं ही बलि का बकरा बन चुका होता। मैं वजीर था। इसलिए शिकार में आप मुझे अपने साथ अवश्य ले जाते। एक अंगुली कटी होने के नाते आप छूट तो जाते ९४ आपकी सफलता आपके हाथ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003883
Book TitleAapki Safalta Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2006
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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