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________________ सोचेंगे। उनको जरूर कोई परेशानी अथवा तनाव होगा। उनकी परेशानी हम अपने सिर क्यों लें? उनका तनाव उन्हें ही मुबारक ! पापा गुस्सा करें तो भी, और प्यार करें तो भी- आप तो बस मुस्कुराइए । भोजन कर रहे हैं तब भी मुस्कुराइए और भोजन करने के बाद हाथ धोते समय भी मुस्कुराना न भूलें । हो सकता है, प्रारम्भिक दौर में यह मुस्कान कृत्रिम हो, आरोपित हो पर यह आरोपित मुस्कान भी आपकी सहज मुस्कान को जागृत करने में सहयोगी बन सकती है। जब सुबह - सुबह जागें, तो आँखें खुलते ही चाय की बात मत सोचिए । ईश्वर को भी बाद में याद करना, माता-पिता को प्रणाम करने के लिए भी बाद में जाना, पत्नी का चेहरा भी बाद में देखिएगा, अगर कोई फोटो सामने लगा हुआ है तो उस पर भी बाद में नजर डालना, पहले जी भर कर डेढ़ मिनिट तक मुस्कुराते रहें । उठकर बैठें और तबियत से मुस्कुरा रहे हैं । इतनी तबियत से कि यह मुस्कान दिलो-दिमाग तक पहुँचे, भीतर तक उतरे, हृदय तक, हाथों तक, पेट, कमर, पाँवों तक वह मुस्कान फैल जाए। केवल डेढ़ मिनिट का प्रयोग करें। जब आप बिस्तर से उठेंगे तो आप महसूस करेंगे कि भीतर एक अलग ही प्रकार की ऊर्जा का प्रवाह हो रहा है । यह प्रसन्नता की ऊर्जा है, आनन्द की ऊर्जा है। आप अपने भीतर अलग तरह का उत्साह उमंग पाएँगे। जब आप माता-पिता को प्रणाम करने जाएँगे तो अनायास ही आपके भीतर ऐसी ही मुस्कान होगी जैसी कि सूरज के उगने पर फूल खिल उठता है, फूल मुस्कुरा उठता है। जैसे चाँद के निकलने पर कुमुदिनी खिल जाती है ऐसे ही आपके भीतर मुस्कान सतत बनी रहेगी। तब बच्चा आएगा या पत्नी सामने होगी तो भी वह सहज मुस्कान खिली रहेगी। भोजन करने से पहले मुस्कुराइए । कभी भोजन करते-करते लगे कि सब्जी खारी हो गई है तो भी एक बार यह सोच कर मुस्कुरा ही दीजिए कि जब उसे आपकी पत्नी खुद खाएगी तब उसे पता चलेगा कि आज कैसी सब्जी बनी है । किसी भी बहाने से ही सही, मगर आपके चेहरे पर मुस्कान हर हालत में रहनी चाहिए । मुस्कान लाएँ, तनाव हटाएँ Jain Education International For Personal & Private Use Only ७९ www.jainelibrary.org
SR No.003883
Book TitleAapki Safalta Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2006
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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