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________________ करें तो लगना चाहिए कि घर में वह व्यक्ति पहुँचा है जिसकी प्रतीक्षा में घरवालों ने पूरे आठ-दस घंटे बिताए हैं । तुम जब घर पहुँचो तो तुम्हारी पत्नी को इतना सुकून मिल जाए कि उसे महसूस हो कि तुम घर पहुंचे हो। वहीं अगर तनाव, घुटन, चिंता, अवसाद जैसी बीमारियों को लेकर घर पहुंचे तो पत्नी के मन में भी अवसाद की छाया घर करने लगेगी। आपकी झुंझलाहट और चिड़चिड़ेपन के चलते आपकी पत्नी सोचेगी, 'अच्छा होता, मेरे पति और दो घंटे बाहर ही रहते।' आप कोई त्याग करना चाहते हैं, कोई व्रत और अनुष्ठान करना चाहते हैं, कोई पूजन और महापूजन करना चाहते हैं तो मैं कहूँगा पूजा अपने आप की कर लें। पहला, अनुष्ठान यह कर लें कि जो कचरा भीतर है उसे बाहर निकाल दें। संभव है, आप गुटका खाने के आदी हों और गुटका न छोड़ पाएँ । यह भी संभव है आप पान खाने के आदी हों और पान न छोड़ पाएँ । हो सकता है आप चाय पीने के शौकीन हों और चाय न छोड़ पाएँ, पर तनावों को पालने के आदी होने का तो कोई अर्थ ही नहीं है। चिंताओं को अपने दिमाग में धरे रखने का कोई औचित्य नहीं है। यह आपके जीवन की जरूरत कतई नहीं है। तनाव आपकी विफलता का कारण है। हम सिगरेट को छोड़ने की कोशिश बाद में करेंगे। पहले अपने दिमाग में जो व्यर्थ का कचरा भरा पड़ा है, चिड़चिड़ेपन का, गुस्से का, चिंता का, ईर्ष्या का, हम उसे त्यागने के लिए कृतसंकल्प हों। व्यक्ति अपने गुस्से और क्रोध को व्यक्त कर देता है तो उसकी दूषित ऊर्जा खर्च हो जाती है लेकिन जब वह अपने गुस्से का, अपने चिड़चिड़ेपन का, अपनी खीझ का इज़हार नहीं कर पाता तो भीतर ही भीतर घुटते रहने पर जिस तत्त्व का निर्माण होता है, उसी का नाम तनाव है। जो चीज व्यक्ति के लिए चिंता का कारण बनती है, अगर वह उपलब्ध हो जाए तो व्यक्ति निश्चिंत हो जाता है और नहीं मिल पाए तो वही चीज व्यक्ति की चिंता का कारण बन जाता है। यही चिंता तनाव देती है। व्यक्ति सबके साथ मिल-जुलकर चल रहा है, किन्तु यदि वह अकेला पड़ मुस्कान लाएँ, तनाव हटाएँ ७१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003883
Book TitleAapki Safalta Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2006
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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