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________________ पूर्व स्वर सफलता हर किसी व्यक्ति का सपना है। व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो, उसकी यह कामना अवश्य होती है कि वह अपने जीवन में सफलताओं के शिखर का स्पर्श करे। सफलताएं न तो आकाश से टपक कर आती हैं, न ही जमीन को फाड़कर। प्रत्येक सफल व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसे उसूल और कार्य होते हैं जो उसके तकदीर के बंद दरवाजों को खोलने में सफल हो जाते हैं। सफलता के श्रेष्ठ परिणामों तक पहुंचना कठिन भले ही लगे, पर जो उन्नत लक्ष्य, निरन्तर प्रयास, सही कार्य-योजना और दृढ़ इच्छाशक्ति को अपने साथ लेकर चलते हैं, किस्मत उनकी हथेली में सफलता के हस्ताक्षर स्वयमेव कर देती है। प्रस्तुत पुस्तक 'आपकी सफलता आपके हाथ' उन लोगों के लिए तो प्रकाश-दीप है ही, जो शान्ति, समृद्धि और सफलता के लिए प्रयासरत रहे हैं, उनके लिए भी बेहद उपयोगी है जो किसी क्षेत्र में असफल होकर निराशा और अवसाद के दलदल में घिर चुके हैं। आप जिस भी स्थिति में हैं इस पुस्तक को पूरे मन से और धैर्य के साथ पढ़ें। आपके दिलोदिमाग में एक नई ऊर्जा और उम्मीद की लौ सुलग उठेगी। प्रस्तुत पुस्तक वास्तव में सफलता की प्रभावी कुंजी है। __ स्वास्थ्य, शान्ति और सफलता के द्वार खोलने वाले महान चिन्तक श्री चन्द्रप्रभ जी ने अपने ऊर्जाभरे प्रवचनों के द्वारा न केवल इस पुस्तक के माध्यम से, वरन् अपने सभी प्रवचनों और पुस्तकों के द्वारा मानव-समाज को जीवन जीने की बेहतर सोच, बेहतर लक्ष्य, बेहतर नजरिया और बेहतर कर्मयोग प्रदान किया है। उन्होंने जितना आध्यात्मिक चेतना के विकास पर प्रकाश डाला है, कैरियर-निर्माण और व्यक्तित्व-विकास पर उतना ही साफ-सुथरा पैगाम दिया है। वे हर किसी युवक की चेतना को जागृत करते हुए संदेश देते हैं कि निष्क्रियता और निठल्लापन हमारे भाग्य के डिब्बे पर लगे हुए ढक्कन हैं। आखिर सफलता कोई ऐसी सीढ़ी नहीं है जिस पर हम अपने हाथ जेब में डाल कर सीधे चढ़ जाएं। इसके लिए श्री चन्द्रप्रभ जी का एक ही समाधान है : लक्ष्योन्मुख सक्रियता/कर्मयोग। इस अनमोल पुस्तक के माध्यम से श्री चन्द्रप्रभ ने हमें यह स्वस्थ समझ दी है कि कामयाबी का रहस्य हमारे श्रम, संघर्ष और कर्मयोग में ही छिपा है। जो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003883
Book TitleAapki Safalta Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2006
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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