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________________ जानकारी रखते हैं, उन्हें ध्यान होगा कि आज से करीब बीस वर्ष पूर्व धनपतियों की लिस्ट में उसका नम्बर वन था। कहते हैं कि एक बार मीडिया से जुड़े हुए कुछ लोग उसके पास पहुँचे और उससे प्रश्न पूछा कि आपने ऊँचाइयों के जिस आकाश को छुआ है, क्या उसका राज बताएँगे? आपके प्रतिद्वन्द्वी आप से इतने पीछे छूट गये, उसका कारण क्या है?' उस अधिपति ने रहस्य को उद्घाटित करते हुए कहा-'जो व्यक्ति अपने लक्ष्य के लिए अपनी पच्चीस प्रतिशत ऊर्जा का उपयोग करता है, वह नाकामयाब रहता है। किन्तु जो व्यक्ति अपनी पचास प्रतिशत ऊर्जा का उपयोग करता है, वह सफल व्यक्ति बनता है। और जो सौ प्रतिशत ऊर्जा का उपयोग करता है, वह व्यक्ति एन्ड्रयू कार्नोगी बनता है।' वह व्यक्ति ही ऊँचाइयों का स्पर्श कर पाता है जो सौ की सौ प्रतिशत ऊर्जा का उपयोग कर लेता है। तेनजिंग और हिलरी एवरेस्ट पर ऐसे ही नहीं पहुँचे थे। छोटे-मोटे प्रयासों से सफलताएँ नहीं मिला करतीं। एक सिस्टम चाहिए, एक कोशिश और एक व्यवस्था चाहिए। ध्यान रखें, कार्य-योजना बना कर ही न बैठ जाएँ। जो व्यक्ति अपने जीवन में एक सिस्टम, एक प्लानिंग लेकर चलता है, वह व्यक्ति तीस दिन के कार्यों को मात्र सात दिन में ही पूर्ण कर लेता है। बिना सिस्टम के जो चलता है, वह सही रूप में न तो दाढ़ी बना पाता है, न उसे खाने की फुर्सत रहती है, न वह अपने बच्चों के बीच बैठ पाता है। वह तो बस जी रहा है। उसके जीने का न तो कोई मकसद, परिणाम, न लक्ष्य और न कोई व्यवस्था है। तुम्हारे घर है, परिवार है, समाज है, धर्मस्थान हैं, देश है, उनके लिए भी वक्त निकालो। जिसके पास जीने का सिस्टम है, तरीका है, कार्यपद्धति है, वह स्वयं को उनके अनुरूप व्यवस्थित कर लेता है। वह हर कार्य को निपटाने के लिए वक्त निकालता है। लोग मुझसे पूछते हैं कि 'आप कब लिखते हैं? आपको चिन्तन-मनन के लिए इतना समय कैसे मिलता है?' देखिए! मुझे भी आहारचर्या करनी होती है। मैं अपना खाना स्वयं लाता हूँ। खाने के बाद मुझे अपने पात्र स्वयं धोने होते हैं। स्वाध्याय, ध्यान, योग, क्या करें कामयाबी के लिए? २७ २ व्यवस्था है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003883
Book TitleAapki Safalta Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2006
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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