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किया करते हैं। हाथ में केवलं हीरे-पन्ने की पुड़िया लेकर घूमने से कोई व्यक्ति अमीर नहीं हुआ करता । व्यक्ति को केवल हीरों को ही नहीं चमकाना पड़ता, वरन् उसे अपनी जीवनशैली, सोच, दृष्टि और व्यवहार में भी चमक लानी पड़ती है।
केवल हीरों की चमक ही चमक नहीं होती, वरन् असली चमक तो व्यक्ति की स्वयं की होती है। अगर किसी व्यक्ति के जीवन में निराशा और अवसाद की स्थिति आ गई है तो मैं कहूँगा कि तुम निराशाओं के बोझ को उतारो और आशाओं के दीप जलाओ। आप पाएँगे कि आपके भीतर एक अद्भुत ऊर्जा है, आपमें अदम्य चेतना है। किसी मरियल व्यक्ति के भीतर भी एक ज़िंदी ऊर्जा है। आखिर अल्पास की पहाड़ियों को पार करने वाला नेपोलियन कोई समो पहलवान नहीं था। वह भी मेरे जैसा ही दुबला-पतला व्यक्ति था। महात्मा गाँधी जिनकी लगाम से देश ने आजादी का रथ हांका था, चार हड्डी का ही व्यक्ति था।
एक ऐसा व्यक्ति जिसके नाम से दुनिया हिलती और काँपती थी, वह हिटलर एक नाटे कद का ही व्यक्ति था। यदि कोई ठिगना या नाटे साइज का व्यक्ति दुनिया को हिलाने का मानस बना ले तो वह दुनिया को हिला सकता है, वहीं कोई व्यक्ति दुनिया को सुखशांतिपूर्ण बनाने का संकल्प कर ले, तो आने वाला कल स्वर्णिम हो सकता है। आखिर अम्बानी कोई आसमान से टपका हुआ इन्सान नहीं है। मात्र पाँच सौ रुपयों से व्यवसाय प्रारम्भ करने वाला व्यक्ति आज पूरे देश के अधिपतियों का अधिपति बन बैठा है। इसका क्या कारण है, गम्भीरतापूर्वक विचार कीजिए।
___टाटा, बिड़ला कोई आसमान से टपके हुए व्यक्ति नहीं हैं वरन् वे भी हमारी तरह ही चार हड्डियों के ही इंसान हैं। वे भी वही रोटी खाते हैं जो हम खाते हैं। उनके पास भी वही दिमाग है जो हमारे पास है। बस थोड़ा सा टैक्निक का फर्क है। जो व्यक्ति सफल होते हैं और जो असफल होते हैं, उनमें बहुत बड़ा फर्क नहीं हुआ करता । केवल एक प्रतिशत जितना ही फर्क हुआ करता है। कुछ उसूलों का, कुछ नजरियों का, कुछ सोच का, कुछ क्या करें कामयाबी के लिए?
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