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अमेरिका का राष्ट्रपति बना। नाम था अब्राहिम लिंकन। वह व्यक्ति जिसने अपने जीवन में नाकामयाबी ही नाकामयाबी देखी हो, पर इसके बावजूद भी जो व्यक्ति अपने जीवन में बेहतर बुनियादी उसूलों को अपनाए रखता है उस व्यक्ति के वे ऊँचे उसूल अवश्य ही जीवन में सफलता देते हैं। मैं तो दावे के साथ कहूँगा कि वह कौन व्यक्ति है जो जीवन में सफलता के लिए प्रयास करे
और असफल रह जाए। जिंदगी पूरी सौ साल की हुआ करती है, ज़िंदगी में चाहे हजार ठोकरें भी क्यों न लग जाएँ, पर ज़िन्दगी हर ठोकर से बड़ी हुआ करती है।
कौन कहता है कि जिंदगी का अंजाम मौत होना चाहिए। जिंदगी का पैग़ाम केवल ज़िन्दगी ही होना चाहिए।
जीवन का परिणाम जीवन ही होना चाहिए। पुरुषार्थ का परिणाम सफलता ही होनी चाहिए। असफलता पाना कोई बुरी बात नहीं है। अगर व्यक्ति निरन्तर प्रयत्नशील रहे तो सुई से भी मकान को खोदा जा सकता है, रस्सी से भी पत्थर को घिसा जा सकता है।
कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता।
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो!
चलिए, मैं अपने बारे में ही बताता हूँ। जिस व्यक्ति को आप इतने प्यार से सुन रहे हैं, मैं उसी के बारे में आप से कहूँ कि जिस दिन मैं अपनी ज़िन्दगी में पहली बार बोलने के लिए मंच पर खड़ा हुआ तो मेरे सामने से माइक हटा दिया गया। यह कहते हुए, इस टिप्पणी के साथ कि 'कल इस बच्चे ने संन्यास लिया है, भला यह क्या बोलेगा?' जो व्यक्ति अपने जीवन में घटने वाली घटनाओं से प्रेरणा ले लिया करते हैं, वे इतिहास बदल दिया करते हैं। इस तरह की घटनाओं को आप अपने लिए चुनौती मानें और दुनिया के सामने ऐसा कुछ कर दिखाएँ कि वह चुनौती ही आपके लिए उत्साहवर्धक बन जाए।
जो लोग पुरुषार्थ करने से डरते हैं, वे ही लोग असफल होने पर अपने हाथ की रेखाएँ दूसरों को दिखाते फिरते हैं। पुरुषार्थशील लोग, अपने क्या करें कामयाबी के लिए?
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