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* हृदय-स्थल अथवा दोनों भौंहों के मध्य तिलक-प्रदेश
पर ध्यान केन्द्रित करना विशेष सहयोगी है। हृदय शान्ति, समर्पण और प्रसन्नता का दिव्य केन्द्र है जबकि अग्र मस्तिष्क संकल्प, विश्वास और चिन्तन-शक्ति
का। , ध्यान-कक्ष में प्रकाश मंद हो, परमात्मा के इष्ट स्वरूप
और गुरु-मूर्ति का चित्र हो, ॐ जैसे मंत्र का प्रतीक भी
लगा हो तो और भी श्रेष्ठ है। * ध्यान रखें, भोजन सदा सात्त्विक करें। ताजा,
हल्का और पोषक भोजन करना साधना के लिए
उपयुक्त है और स्वास्थ्य के लिए भी। में विचारों को हमेशा स्वस्थ-सकारात्मक रखें। विपरीत निमित्त या वातावरण उपस्थित हो जाने पर भी मन की शांति को मूल्य दें और प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्न रहें।
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