________________
1000000000000000000000
50881990423002065800030000
एस
.
11 ऐसे लोगों को दोस्त मत बनाइए जो पंछी की तरह
सरोवर पर आकर बैठते हैं, दाना-पानी चुगते हैं और उड़ जाते हैं। मित्र हो ऐसा जो मछली की तरह चाहे
सुख हो या दुःख हर हाल में पानी के साथ रहे। 11 अपने मित्र के केवल मित्र बनिए, उसके अभिभावक या
उपदेशक नहीं। सुख में उसके साथ चलिए, पर दुःख
आ जाए तो उसे अपनी बाँहों में थाम लीजिए। 11 मित्र से कोई ग़लती हो जाए तो उसे वैसे ही नज़र
अंदाज़ कर दीजिए जैसे माटी पर खींची गई लकीर, पर यदि उसने आपका कोई भला किया है तो उसे वैसे ही
याद रखिए जैसे पत्थर पर उकेरी गई लकीर। 11 मज़ाक में भी अपने मित्र को ठेस मत पहुँचाइए। दुःख
देने वाले दुनिया में वैसे भी बहुत हैं। मित्रता का अर्थ है : प्रेम और सुख का दरिया कि जिसकी हवा का एक झोंका भी आदमी को सुकून दे।
8288609009885088888888888888862855295200999999999999993500NRIMRANORMe
l oddoor
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org